#NewsBytesExplainer: नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को क्या सुविधाएं मिलेंगी और क्या हैं जिम्मेदारियां?
राहुल गांधी अब संसद में नई भूमिका में नजर आएंगे। उन्हें लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब राहुल किसी संवैधानिक पद पर बैठे हैं। राहुल को ये जिम्मेदारी मिलना इसलिए भी अहम है, क्योंकि बीते 10 सालों से ये पद खाली था। अब राहुल को कई सुविधाएं तो मिलेंगी, लेकिन उनके सामने उतनी ही चुनौतियां और जिम्मेदारियां भी होंगी। आइए राहुल की नई भूमिका के बारे में जानते हैं।
राहुल को क्या मिलेंगी सुविधाएं?
राहुल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा और उसी हिसाब से वेतन और दूसरी सुविधाएं दी जाएंगी। उन्हें हर महीने 3.30 लाख रुपये वेतन मिलेगा। इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री के आवास के स्तर का बंगला भी आवंटित किया जाएगा। संसदीय जिम्मेदारी निभाने के लिए 14 लोगों का स्टाफ भी होता है। इसके अलावा संसद में सचिवीय एवं अन्य सुविधाओं से युक्त एक कमरा भी मिलेगा। राहुल को लोकसभा में डिप्टी स्पीकर के बगल में पहली पंक्ति में सीट मिलेगी।
प्रमुख नियुक्तियों में भूमिका
नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सरकार की सभी महत्वपूर्ण समितियों में राहुल को जगह मिलेगी। वे प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली समिति के सदस्य होंगे। वे केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, लोकपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों जैसी प्रमुख नियुक्तियों पर बनी समितियों के सदस्य भी होंगे। इन समितियों में वे प्रधानमंत्री के साथ फैसलों में शामिल रहेंगे।
'शैडो प्रधानमंत्री' होंगे राहुल
विपक्ष का नेता 'शैडो प्रधानमंत्री' होता है। उसके पास एक 'शैडो मंत्रिमंडल' होता है, जो चुनाव में अपनी पार्टी के बहुमत प्राप्त करने या वर्तमान सरकार के त्यागपत्र देने की स्थिति में सरकार बनाने की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहता है। इस तरह विपक्ष का नेता होने के नाते राहुल की भूमिका न केवल सरकार का विरोध और आलोचना करने की होगी, बल्कि सरकार के गिरने की स्थिति में वैकल्पिक सरकार बनाने की भी होगी।
क्या होगी राहुल की जिम्मेदारियां?
राहुल की अब संसद में जिम्मेदारियां भी बढ़ जाएंगी। विपक्ष के नेता की प्रमुख भूमिकाओं में से एक सरकार की नीतियों पर प्रभावी ढंग से सवाल उठाना है। उन्हें विधायिका और जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। अगर उन्हें लगता है कि सरकार किसी महत्वपूर्ण मुद्दे को नजरअंदाज करने तथा संसदीय आलोचना से बचने का प्रयास कर रही है तो वे बहस की मांग कर सकते हैं।
गठबंधन को बांधे रखना भी चुनौती
INDIA गठबंधन को संसद से सड़क तक एकजुट रखना भी राहुल के लिए चुनौती होगी। राहुल को कांग्रेस के साथ तमाम सहयोगी पार्टियों से भी तालमेल बनाकर रखना होगा। चुनाव के बाद ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के सुर अलग-अलग नजर आ रहे हैं। स्पीकर को लेकर भी तृणमूल कांग्रेस (TMC) और कांग्रेस में विवाद की अटकलें थीं। ऐसे में राहुल के लिए सभी को साधे रखना बेहद जरूरी होगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
नियमों के तहत, नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या (543) का 10 प्रतिशत यानी 54 सांसद होना जरूरी है। पिछले 10 साल से किसी भी विपक्षी पार्टी के 54 सांसद नहीं जीते थे, इसलिए ये पद खाली था। इस बार कांग्रेस के 99 सांसद जीते हैं। इसके बाद राहुल को नेता प्रतिपक्ष चुना गया है। वे सोनिया गांधी और राजीव गांधी के बाद इस पद को संभालने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं।