हरियाणा के 5 बार के मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर कैसा रहा?
हरियाणा के 5 बार के मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला का शुक्रवार को 89 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में परेशानी होने पर गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। चौटाला का हरियाणा की राजनीति में बड़ा कद रहा है। वह 7 बार विधायक बनने के साथ 5 बार मुख्यमंत्री भी बने। आइए उनके राजनीतिक सफर पर नजर डालते हैं।
चौटाला को विरासत में मिली थी राजनीति
भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल की 5 संतानों में सबसे बड़े ओम प्रकाश का जन्म 1 जनवरी, 1935 को चौटाला गांव में हुआ था। उन्होंने शुरुआती शिक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने कहा था कि उस जमाने में बेटों का बाप से ज्यादा पढ़ा होना अच्छा नहीं माना जाता था। हालांकि, 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के दौरान तिहाड़ जेल में रहते हुए उन्होंने 82 साल की उम्र में 10वीं और फिर 12वीं की परीक्षा पास की थी।
चौटाला ने 1968 में रखा था चुनावी राजनीति में कदम
चौटाला ने साल 1968 में चुनावी राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से लड़ा था, लेकिन राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी के उम्मीदवार लालचंद खोड़ से हार गए। उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और हाईकोर्ट पहुंच गए। सालभर चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालचंद की सदस्यता रद्द कर दी। इसके बाद 1970 के उपचुनाव में चौटाला जनता दल के टिकट जीतकर पहली बार विधायक बने थे।
पिता के केंद्र में जाने पर पहली बार मुख्यमंत्री बने थे चौटाला
1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल की सरकार बनी थी और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे। देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बनाया गया था। इसके बाद देवीलाल ने 2 दिसंबर, 1989 को चौटाला को पहली बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया। उस समय चौटाला राज्यसभा सांसद थे। हालांकि, राज्य में हिंसा भड़कने पर 5 महीने बाद यानी 22 मई, 1990 को चौटाला को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह बनारसी दास गुप्ता को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।
चौटाला 4 बार और बने थे हरियाणा के मुख्यमंत्री
इस घटना के बाद 12 जुलाई, 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन 5 दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा। 22 मार्च 1991 को चौटाला ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन केंद्र के राष्ट्रपति शासन लागू के कारण उन्हें 6 अप्रैल 1991 को फिर से इस्तीफा देना पड़ा। इसी तरह उन्होंने 24 जुलाई, 1999 में चौथी बार और 5 मार्च, 2000 में 5वीं बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
चौटाला ने 1996 में बनाई थी अपनी पार्टी
चौटाला ने 1996 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) के नाम से नई पार्टी बना ली। 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में 5 सीटें जीतने पर उनके दल को मान्यता मिल गई। इसके बाद उन्होंने पार्टी का नाम बदलकर INLD कर दिया। 24 जुलाई, 1999 को चौटाला चौथी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन दिसंबर में उन्होंने विधानसभा भंग करवा दी। उसके बाद दोबारा हुए विधानसभा चुनाव में जीतकर वह फिर मुख्यमंत्री बन गए।
शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में चौटाला ने तिहाड़ जेल में बिताए 8 साल
1999-2000 में हरियाणा के 18 जिलो में शिक्षक भर्ती घोटाला सामने आया। इसमें मनमाने तरीके से 3,206 जूनियर बेसिक शिक्षकों की भर्ती की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2003 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने घोटाले की जांच शुरू की। जनवरी, 2004 में CBI ने चौटाला समेत 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। जनवरी, 2013 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने चौटाला और उनके बेटे अजय सिंह को 10 साल की सजा सुना दी।
चौटाला को सजा पूरी होने से पहले मिली रिहाई
2018 में केंद्र सरकार की विशेष माफी योजना के तहत चौटाला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की। ऐसे में चौटाला को सला पूरी होने से 2 साल पहले ही यानी 2 जुलाई, 2021 को जेल से रिहा कर दिया गया था।