प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे BSF से निष्कासित जवान तेज बहादुर यादव
खाने की खराब गुणवत्ता की शिकायत कर चर्चा में आए सीमा सुरक्षा बल (BSF) के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने शुक्रवार को घोषणा की कि वे वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में हुंकार भरेंगे। हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले यादव ने कहा कि कई पार्टियों ने उन्हें अपनी तरफ से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया, लेकिन वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरेंगे।
इस मुद्दे पर लड़ेंगे चुनाव
यादव ने कहा कि वे इन चुनावों में सुरक्षा बलों में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाएंगे। उन्होंने कहा, "मेरा मकसद चुनाव हारना या जीतना नहीं है। मैं बताना चाहता हूं कि सरकार अर्धसैनिक बलों को लेकर नाकामयाब रही है। प्रधानमंत्री जवानों के नाम पर वोट तो मांगते हैं, लेकिन उनके लिए कुछ नहीं करते हैं। पुलवामा में जान गंवाने वाले जवानों को सरकार ने शहीदों का दर्जा भी नहीं दिया।"
अदालत में चल रहा है यादव का मामला
सोशल मीडिया पर BSF जवानों को दिए जाने वाले खाने की शिकायत का वीडियो वायरल होने के बाद यादव को BSF से निकाल दिया गया था। उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में शिकायत की है, जहां मामले की सुनवाई चल रही है। यादव ने कहा कि वे जल्द ही वाराणसी जाकर पूर्व सैनिकों और किसानों के साथ अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे। उन्होंने बताया कि वे प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा वोट पाने की रणनीति बना रहे हैं।
क्यों चर्चा में आए थे तेज बहादुर यादव?
पूर्व सैनिक तेज बहादुर ने सेना में अपनी नौकरी के दौरान सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था। इस वीडियो में उन्होंने बताया था कि सैनिकों को खराब गुणवत्ता वाला खाना दिया जाता है। उन्होंने वीडियो में दिखाया था कि जवानों को पानी वाली दाल और जली हुई रोटियां खिलायी जाती हैं। उनका यह वीडियो सामने आने के बाद खूब विवाद हुआ था। वीडियो वायरल होने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी रिपोर्ट तलब की थी।
मोदी के खिलाफ मैदान में होगे 111 किसान
विरोधी राजनीतिक पार्टियों के अलावा तमिलनाडु के 111 किसान भी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। किसान नेता पी अय्याकन्नू ने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी किसानों की ऋणमाफी, कृषि उत्पादों का उचित दाम आदि मांगे स्वीकार करती है तो किसान चुनाव के लिए नामांकन नहीं करेंगे। इसके बाद भाजपा ने किसानों की मांगों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने की बात कही थी।