#WorldCancerDay: ज़्यादातर लोग कैंसर से जुड़ी इन बातों को मानते हैं सच, जानें सच्चाई
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। कैंसर जितनी ख़तरनाक बीमारी है, उतनी ही इसको लेकर लोगों में गलतफहमियाँ हैं। ज़्यादातर लोग कैंसर को सही तरह से समझ ही नहीं पाते हैं। इसकी वजह से कई लोग कैंसर से जुड़ी गलतफहमियों को सच मान लेते हैं। आज 'विश्व कैंसर दिवस' के मौक़े पर हम आपको कैंसर से जुड़ी कुछ गलतफहमियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको ज़्यादातर लोग सच मानते हैं, जबकि सच्चाई कुछ और है।
नामुमकिन है कैंसर होने पर बचना
ज़्यादातर लोग यह सोचते हैं कि जिसे कैंसर हो गया, उसका बचना मुश्किल है, जबकि सच्चाई इससे अलग है। कुछ उपाय हैं, जिससे कैंसर के ख़तरे को कम किया जा सकता है। सही समय से कैंसर का पता लगाकर इसका इलाज़ शुरू किया जाये तो बचा जा सकता है। कैंसर से होने वाली कुल मौतों में एक तिहाई मौतें धूम्रपान की वजह से होती हैं। इसलिए गलत खान-पान जैसी कई बातों का ध्यान रखकर कैंसर से बचा जा सकता है।
माइक्रोवेव में प्लास्टिक के बर्तन इस्तेमाल करने से होता है कैंसर
कई ऐसे भी लोग हैं, जिनका मानना है कि माइक्रोवेव में प्लास्टिक के बर्तन इस्तेमाल करने से कैंसर हो सकता है, जबकि यह सच नहीं है। अगर प्लास्टिक का बर्तन माइक्रोवेव में सुरक्षित है तो आपको कैंसर का कोई ख़तरा नहीं है। डाईऑक्सिन की वजह से कैंसर का ख़तरा रहता है, लेकिन यह प्लास्टिक से तभी निकलता है, जब प्लास्टिक जलता है। जानकारी के अनुसार माइक्रोवेव में प्लास्टिक जलता नहीं है, इसलिए इससे कोई ख़तरा नहीं है।
कृत्रिम मीठी चीज़ों के इस्तेमाल से होता है कैंसर
कुछ लोगों का मानना है कि कृत्रिम मीठी चीज़ों के इस्तेमाल से कैंसर होता है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप गलत भी हैं और सही भी हैं। कृत्रिम मीठी चीज़ों को ब्लैडर कैंसर का कारक माना गया है, इसी वजह से सैकरीन और एस्पार्टम के प्रयोग पर कई देशों में प्रतिबंध है। कृत्रिम मीठी चीज़ों और कैंसर के बीच के संबंधो का ख़ुलासा अभी तक नहीं हुआ है। इसपर आज भी शोध जारी है।
कैंसर के उपचार के दौरान आप नहीं कर सकते कोई काम
कैंसर के मरीज़ों को देखकर लोग कहते हैं कि अब तो ये किसी काम का नहीं रहा। अब यह कोई काम नहीं कर सकता है, जबकि यह सच नहीं है। ज़्यादातर कैंसर रोगियों का इलाज सामान्य मरीज़ों की तरह होता है। हालाँकि जब स्थिति काफ़ी गंभीर होती है, तभी रोगियों को हॉस्पिटल में रखकर इलाज की ज़रूरत होती है। कीमोथेरेपी वाले रोगी भी पूरा काम सामान्य तरह से कर सकते हैं, यहाँ तक कि वो जिम भी जा सकते हैं।
केवल धूम्रपान करने वाले लोगों को होता है लंग कैंसर
सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। कई लोगों का यह मानना है कि जो लोग धूम्रपान करते हैं, केवल उन्हें ही कैंसर होता है, जबकि यह सच नहीं है। यह सही है कि धूम्रपान से कैंसर होता है, लेकिन केवल धूम्रपान करने वालों को ही लंग कैंसर होता है, यह बिलकुल गलत है। पिछले कुछ सालों में स्थिति तेज़ी से बदली है। वायु प्रदूषण के कारण भी कई लोगों को लंग कैंसर होता है।
वायु प्रदूषण की वजह से भी होता है लंग कैंसर
एक आँकड़े के अनुसार भारत के लगभग 50 प्रतिशत लंग कैंसर से पीड़ित लोग धूम्रपान नहीं करते हैं, इसके बाद भी वो इसके शिकार हैं। वायु प्रदूषण, निष्क्रिय जीवनशैली और फेफड़ों से संबंधित अन्य समस्याओं से भी लंग कैंसर होता है।
कैंसर का हर 13वाँ मरीज़ है भारतीय
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार विश्व में कैंसर का हर 13वाँ मरीज़ भारतीय है। हर साल कैंसर की वजह से 3.5 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। जानकारों का मानना है कि 2025 तक यह आँकड़ा 4.5 लाख तक हो सकता है। इस समय भारत में एक करोड़ कैंसर रोगियों के इलाज के लिए केवल 2,000 कैंसर विशेषज्ञ हैं। इसी बात से पता चलता है कि भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत क्या है।
मध्य प्रदेश में हर साल 90,000 लोग मर रहे हैं कैंसर से
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में हर साल तंबाकू जनित बीमारियों से 90,000 लोग काल के गाल में समा जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मध्य प्रदेश की कुल आबादी में से 28.1 प्रतिशत लोग तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं। इसमें 38.7 प्रतिशत पुरुष और 16.8 प्रतिशत महिलाएँ शामिल हैं। तंबाकू के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से राज्य के ज़्यादातर लोग मुँह और लंग कैंसर से पीड़ित हैं।
मिलकर करना होगा कैंसर का सामना
पिछले साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आँकड़े के अनुसार 2020 तक देश में कैंसर के मामलों में 20 प्रतिशत का वृद्धि हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो स्थितियाँ और भी गंभीर हो जाएँगी। इसे कम करने के लिए सरकार के साथ ही लोगों को भी अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा। कैंसर 200 से भी ज़्यादा तरह की बीमारियों का समूह है और इससे अकेले नहीं बल्कि मिलकर ही ख़त्म किया जा सकता है।