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    एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड में क्या है अंतर? जानें सही जानकारी
    एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड में अंतर

    एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड में क्या है अंतर? जानें सही जानकारी

    लेखन अंजली
    Jan 16, 2025
    07:57 pm

    क्या है खबर?

    स्वास्थ्य जांच के लिए कई प्रकार की तकनीकें उपलब्ध हैं, जिनमें एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड प्रमुख हैं।

    ये सभी तकनीकें शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच करने में मदद करती हैं, लेकिन इनके उपयोग और कार्यप्रणाली में अंतर होता है।

    इस लेख में हम इन चारों तकनीकों के बीच के अंतर को समझेंगे ताकि आप अपनी स्वास्थ्य जांच के लिए सही समय पर सही विकल्प चुन सकें।

    #1

    एक्स-रे

    एक्स-रे एक पुरानी लेकिन प्रभावी तकनीक है, जो हड्डियों और दांतों की संरचना देखने के लिए उपयोग होती है।

    इसमें रेडियोधर्मी किरणों का उपयोग किया जाता है, जो शरीर से होकर गुजरती हैं और हड्डियों पर छवि बनाती हैं।

    यह प्रक्रिया आमतौर पर दर्द रहित होती है, लेकिन बार-बार एक्स-रे करवाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि इसमें रेडिएशन का स्तर अधिक होता है।

    इसलिए इसे केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करवाना चाहिए।

    #2

    सीटी स्कैन

    सीटी स्कैन या कंप्यूटेड टोमोग्राफी एक उन्नत तकनीक है, जो शरीर के विभिन्न अंगों की विस्तार से छवियां प्रदान करती है।

    यह एक्स-रे से अधिक स्पष्टता देता है क्योंकि इसमें कई कोणों से ली गई तस्वीरों को कंप्यूटर द्वारा संयोजित किया जाता है।

    इसका उपयोग आंतरिक चोटों, ट्यूमर या अन्य जटिलताओं का पता लगाने में किया जाता है, लेकिन यह भी रेडिएशन का उपयोग करता है इसलिए इसे भी सावधानीपूर्वक करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

    #3

    एमआरआई

    एमआरआई यानी मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग एक ऐसी तकनीक है, जो चुंबकीय तरंगों का उपयोग करके शरीर की आंतरिक संरचना को दिखाती है।

    इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता कि इसमें कोई रेडिएशन नहीं होता, जिससे यह सुरक्षित मानी जाती हैं खासकर जब लंबे समय तक निगरानी करनी हो जैसे कि न्यूरोलॉजिकल समस्याओं या मांसपेशियों संबंधी विकारों में इसका प्रयोग किया जाता हैं।

    हालांकि, इसकी प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती हैं, जिसमें मरीज को मशीन में लेटना पड़ता है।

    #4

    अल्ट्रासाउंड

    अल्ट्रासाउंड ध्वनि तरंगो द्वारा शरीर के अंदरूनी हिस्से देखने वाली विधि होती है, जिसमें कोई भी रेडिएशन शामिल नहीं रहता।

    इस कारण गर्भावस्था के दौरान भ्रूण विकास देखने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली विधि बन चुकी है।

    इसके अलावा ये पेट, किडनी, लिवर आदि अंगो संबंधी समस्याएं जानने के लिए भी प्रयोग होता है। इसकी प्रक्रिया सरल और बिना दर्द के साथ तुरंत परिणाम दे सकती है, जिससे मरीज आसानी महसूस कर सकते हैं।

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