व्यक्तित्व और बात मानने से मजबूत हो सकता है रिश्ता, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
हर रिश्ता तभी लंबा और प्यार भरा रहता है, जब उसमें संतुष्टि की भावना होती है। दूसरे शब्दों में यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति रिश्ते में कितना खुश महसूस करता है।
वैसे तो रिश्ते में खुशी के कारण कई होते हैं, लेकिन एक अध्ययन से सामने आया है कि आपके पार्टनर का व्यक्तित्व रिश्ते को मजबूत बना सकता है।
इसके अलावा, आपका पार्टनर आपकी कितनी बातें मानता है, इससे भी संतुष्टि पर असर पड़ता है।
अध्ययन
क्या था इस अध्ययन को करने का मकसद?
यह अध्ययन जर्नल ऑफ रिसर्च इन पर्सनैलिटी में प्रकाशित किया गया था।
इसके जरिए यह जानने की कोशिश की गई थी कि एक रिश्ते में आने वाले दोनों व्यक्तियों का व्यक्तित्व किस हद तक उनकी खुशी को प्रभावित करता है।
साथ ही इसके जरिए यह भी सामने आया कि जिस रिश्ते में दोनों साथी एक दूसरे की बातें मानते हैं, वह भी सफल रहता है।
आइए समझते हैं कि शोध को कैसे पूरा किया गया था।
प्रक्रिया
1,750 जोड़ों का किया गया था परीक्षण
इस अध्ययन को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के रोमांटिक रिश्तों में शामिल 1,750 वयस्कों का परीक्षण किया गया था।
इसमें इस बात पर ध्यान दिया गया कि सभी कपल के बीच किस-किस पार्टनर की बात ज्यादा मानी जाती थी। साथ ही, यह बात भी ध्यान में रखी गई थी कि पार्टनर्स का एक दूसरे के प्रति व्यवहार कैसा है।
इन आदतों के जरिए जानिए कि आपका पार्टनर टॉक्सिक है या नहीं।
अधिकार
अधिकार का कैसे पड़ता है रिश्ते पर असर?
पावर डायनेमिक्स का रिश्ते की मजबूती पर गहरा असर पड़ता है। इसका मतलब यह होता है कि रिश्ते में आप या आपके साथी का एक-दूसरे पर कितना नियंत्रण या प्रभाव है।
यह सोचना कि आपके साथी का आप पर ज्यादा अधिकार है, इस बात को प्रभावित कर सकता है कि आप अपने रिश्ते में कितने संतुष्ट हैं।
अध्ययन के अनुसार, जो लोग सोचते थे कि उनके साथी के पास ज्यादा अधिकार शक्ति है, वे अपने रिश्ते में कम संतुष्ट थे।
व्यक्तित्व
व्यक्तित्व का भी संतुष्टि पर पड़ता है बहुत प्रभाव
अध्ययन में जिस दूसरे पहलू पर ध्यान दिया गया वह सभी प्रेमियों का व्यक्तित्व था। अध्ययन में पाया गया कि जो लोग मिलनसार, संगठित और जिम्मेदार होते हैं, वे रिश्तों में ज्यादा खुशहाल महसूस करते हैं।
वहीं, जो लोग शर्मीले, भावनात्मक रूप से संवेदनशील, सहमत, अधिक सहयोगी और दयालु होते हैं, वे कुछ हद तक अपने साथी पर कम अधिकार जाता पाते हैं।
इसके कारण उन्हें कम संतुष्टि महसूस होती है। इसीलिए दोनों के बीच संतुलन होना चाहिए।