उत्तराखंड: 25 अप्रैल को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, जानिए कैसे करें यात्रा
केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदूओं के लिए पवित्र तीर्थों में से एक है। बता दें कि नवंबर से मार्च तक वहां भारी बर्फबारी होती है। ऐसे में हर साल केवल सीमित समय के लिए ही मंदिर पहुंचा जा सकता है। इस बार आगामी 25 अप्रैल को मंदिर के कपाट श्रृद्धालुओं के लिए खोला जाएग। ऐसे में आइए यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बाते जानते हैं।
केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग: जौली ग्रांट हवाई अड्डा केदारनाथ से 246 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां से आप टैक्सी और घोड़े या पालकी की सवारी से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग: केदारनाथ के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग: केदारनाथ दिल्ली से लगभग 466 किलोमीटर की दूरी पर है और बेहतर होगा कि आप वहां पहुंचने के लिए टैक्सी या बस का ही चयन करें।
हेल्थ ATM और हेलीकॉप्टर सुविधाएं हैं उपलब्ध
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि यात्रा के दौरान स्वास्थ्य जांच के लिए हेल्थ ATM लगाए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं को काफी मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालु पैदल जाने के अलावा हेलीकॉप्टर का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसके लिए उन्हें IRCTC की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग करानी होगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश में भी अयोध्या नगरी के दर्शन के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा शुरू की है।
केदारनाथ में भोजन और ठहरने के विकल्प
केदारनाथ में कुछ खूबसूरत होमस्टे, कॉटेज और होटल हैं, जहां आप आरामदायक ठहराव का आनंद ले सकते हैं। आपको वहां सरकार द्वारा संचालित कई गेस्ट हाउस भी मिल सकते हैं। जब आप केदारनाथ में हों तो आपको वहां के भोजनालयों में स्थानीय व्यंजनों का जायका जरूर लेना चाहिए। उत्तराखंड के व्यंजनों में आमतौर पर फाणु, काफुली, भिवाणी, चैनसो, झोली, गहत के परांठे, रोट और बाड़ी सहित अन्य गढ़वाली व्यंजन शामिल हैं।
चार धाम यात्रा की शुरूआत
11 मार्च, 2023 से ही रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने चारधाम यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी थीं, जिसमें गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल है। ये मंदिर साल के 6 महीने बंद रहते हैं और श्रद्धालुओं के लिए अप्रैल या मई में खोले जाते हैं। बता दें कि 22 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिर के कपाट खोले जाएंगे, जबकि केदारनाथ मंदिर के 25 और बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे।
चार धाम यात्रा की शुरूआत कैसे हुई?
चार धाम यात्रा की शुरूआत 8वीं शताब्दी के धर्मप्रवर्तक और दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने की थी। उन्होंने 8वीं शताब्दी में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए चार पवित्र मंदिरों की तीर्थ यात्रा का आगाज किया। 1950 के दशक तक लोगों ने इन स्थलों तक पहुंचने के लिए पैदल ही एक कठिन यात्रा तय की। हालांकि, 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सही रास्तों और कई तरह के साधनों की वजह से यह यात्रा थोड़ी आसान होती चली गई।