शीतली प्राणायाम: जानिए इसका अभ्यास, इसके फायदे और अन्य जरूरी बातें
क्या है खबर?
शीतली प्राणायाम एक खास योग तकनीक है, जो शरीर को ठंडक पहुंचाने में मदद करती है।
यह प्राचीन भारतीय योग का हिस्सा है और गर्मी के मौसम में फायदेमंद मानी जाती है।
इसका मुख्य उद्देश्य शरीर की आंतरिक गर्मी को कम करना और मानसिक शांति प्रदान करना है।
इसे करने से तनाव कम होता है और मन शांत रहता है। यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी हो सकता है, जो गर्म जलवायु में रहते हैं।
अभ्यास
शीतली प्राणायाम कैसे करें?
सबसे पहले आरामदायक स्थिति में बैठें, जैसे कि पद्मासन या सुखासन। इस दौरान अपनी पीठ को सीधा रखें और आंखें बंद कर लें।
अब अपनी जीभ को बाहर निकालें और उसे नलिका की तरह मोड़ लें, जिससे एक ट्यूब जैसी आकृति बन जाए। धीरे-धीरे मुंह से सांस अंदर लें, जैसे आप स्ट्रॉ से पानी पी रहे हों।
सांस भरने के बाद जीभ अंदर कर लें और नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं।
फायदे
नियमित शीतली प्राणायाम करने के फायदे
शीतली प्राणायाम कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह शरीर की आंतरिक गर्मी को कम करता है, जिससे आपको ठंडक महसूस होती है।
इसके अलावा यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र भी बेहतर होता है और त्वचा पर निखार आता है क्योंकि यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है।
सावधानियां
शीतली प्राणायाम करते समय सावधानियां बरतें
शीतली प्राणायाम सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
अगर आपको सर्दी-जुकाम या गले में खराश हो तो इस अभ्यास से बचना चाहिए क्योंकि इससे समस्या बढ़ सकती हैं।
इसके अलावा लो ब्लड प्रेशर वाले लोगों को भी इसे सावधानीपूर्वक करना चाहिए क्योंकि इससे ब्ल प्रेशर और थोड़ा घट सकता है।
किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होने पर तुरंत अभ्यास रोक दें।
अन्य एक्सरसाइज
अन्य एक्सरसाइज के साथ करें शीतली प्राणायाम
शीतली प्राणायाम को अन्य योग आसनों जैसे शवासन या ध्यान के साथ करने से मानसिक लाभ बढ़ जाते हैं।
यह अभ्यास सुबह-सुबह सूर्योदय के समय करना फायदेमंद होता है जब माहौल शांत होता है।
इसके अलावा अनुलोम-विलोम जैसे अन्य प्राणायामों का संयोजन करके आप अपने संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं।
इससे न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि शरीर की ऊर्जा भी बढ़ती है। नियमित अभ्यास से मन और शरीर दोनों को संतुलन मिलता है।