आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है लोध्र, इस्तेमाल से मिल सकते हैं ये फायदे

दुनियाभर में ऐसी कई जड़ी-बूटियां मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल शारीरिक समस्याओं के इलाज के लिए काफी समय से होता आ रहा है। इन्हीं में से एक है लोध्र। यह एक सदाबहार पेड़ है जिसका हर एक हिस्सा औषधीय गुणों से समृद्ध है। आयुर्वेद में इसकी जड़, छाल और पत्तियों का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। अगर आप इसके गुणों से वाकिफ नहीं है तो आइए आज हम आपको इन्हीं के बारे में बताते हैं।
अल्सर पेट से जुड़ी बीमारी है। यह तब होती है जब भोजन को पचाने में मदद करने वाला एसिड पेट की दीवारों और छोटी आंत को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस बीमारी के जोखिम को कम करने में लोध्र मदद कर सकता है। एक शोध के मुताबिक, इसके इथेनॉलिक अर्क में एंटी-अल्सर प्रभाव मौजूद होता है जो अल्सर के इलाज में मददगार है। वहीं इसमें मौजूद एंटी-सेक्रेटरी प्रभाव पेट का एसिड कम करने में सहायक हो सकता है।
एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि लोध्र मुंहासों से भी राहत दिला सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-सेप्टिक, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकते हैं। वहीं इसमें खास फैटी एसिड भी मौजूद होते हैं जो मुंहासों के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। समस्या से राहत पाने के लिए स्किन केयर रूटीन में लोध्र को शामिल करें।
लोध्र हृदय से जुड़ी समस्याओं से बचाव करने में कारगर साबित हो सकता है। एक शोध के अनुसार, लोध्र का इस्तेमाल करने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है क्योंकि यह रक्तचाप को नियंत्रित करके हृदय पर पड़ने वाले अनावश्यक भार को कम कर सकता है। बता दें कि लोध्र में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जीरो होती है जिस कारण कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित मरीजों के लिए लोध्र सुरक्षित हो सकता है।
लोध्र के फूल की पंखुड़ियां न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि त्वचा के लिए भी लाभकारी साबित हो सकती हैं क्योंकि इनमें मौजूद टैनिन एक अच्छा एंटी-ऑक्सीडेंट तो होता ही है, इसके साथ ही यह त्वचा के लिए एक प्रभावी एसट्रिनजेंट की तरह भी काम करता है। एसट्रिनजेंट त्वचा के रोमछिद्रों को छोटा करने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह त्वचा से सीबम के स्राव को नियंत्रित करने में भी मददगार साबित हो सकता है।