अर्ध बद्ध पद्मा पश्चिमोत्तानासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका और अन्य महत्वपूर्ण बातें
अर्ध बद्ध पद्मा पश्चिमोत्तानासन छह शब्दों (अर्ध, बद्ध, पद्म, पश्चिम, उत्तान और आसन) का मेल है। इसमें अर्ध मतलब आधा, बद्ध यानी बांधा हुआ, पद्म मतलब कमल का फूल, पश्चिम का अर्थ पश्चिम दिशा या शरीर का पिछला हिस्सा और उत्तान मतलब खींचा हुआ। वहीं, आसन का मतलब मुद्रा से है। रोजाना इसका अभ्यास करने से आपको कई तरह के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए आज हम आपको इस योगासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अर्ध बद्ध पद्मा पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठें। अब अपने दाएं पैर को उठाकर बाएं जांघ के ऊपरी हिस्से पर रखें। इसके बाद अपना दायां हाथ पीठ के पीछे से आगे लाएं और उससे दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें, फिर अपने माथे को बाएं पैर के घुटने से सटाएं। अपनी क्षमतानुसार इस मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं, फिर इसी मुद्रा का अभ्यास विपरीत तरफ से भी करें।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपको गर्दन, हाथ-पैर या फिर सिर से संबंधित कोई समस्या है तो आपको इस आसन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क या साइटिका से ग्रस्त लोग भी इस आसन का अभ्यास न करें। गंभीर हृदय रोग और उच्च रक्तचाप आदि समस्याओं से पीड़ित लोगों को भी इस आसन के अभ्यास से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
योगासन का रोजाना अभ्यास करने से मिलते हैं ये फायदे
यह आसन आपके कंधों में एक खिंचाव पैदा करता है जो दर्द को कम करता है। यह आसन पीठ, पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूती देता है। इस आसन का अभ्यास संतुलन शक्ति को बढ़ाता है और शरीर का पॉश्चर सुधारने में मदद करता है। यह आसन शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ता है। इस आसन से कूल्हे और घुटनों से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस आसन से एकाग्रता क्षमता भी बढ़ती है।
अभ्यास से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स
अगर आप इस योगासन का अभ्यास पहली बार करने जा रहे हैं तो विशेषज्ञ की निगरानी में करें। अगर इस आसन का अभ्यास करने के दौरान आपको पैरों को ऊपर की ओर करने में परेशानी हो तो शारीरिक क्षमता से अधिक बल न डालें। इस आसन को करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें और शांत दिमाग से इसका अभ्यास करें। जब आसन का अभ्यास छोड़ें तो किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे आसन छोड़ें।