हरतालिका तीज: महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है यह त्योहार, जानिए इसका इतिहास और महत्व
क्या है खबर?
हरतालिका तीज मुख्य रूप से महिलाओं का त्योहार है, जो भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष तृतीया पर पड़ता है और पूरे देश में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
इस दिन भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की रेत या मिट्टी से मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है।
अगर आप अपने प्रियजनों के साथ हरतालिका तीज मना रहे हैं तो आइए आज हम आपको इस त्योहार का इतिहास, महत्व और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
तिथि
हरतालिका तीज कब है?
हरतालिका तीज साल की आखिरी तीज होती है और यह मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है।
इस साल हरतालिका तीज 18 सितंबर को मनाई जाएगी। द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर को सुबह 11:08 बजे शुरू होगी और 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे समाप्त होगी।
इस तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त 18 सितंबर को सुबह 06:07 से 08:34 बजे तक होगा।
इतिहास
हरतालिका तीज का इतिहास
मान्यता है कि माता पार्वती की सहेलियां उनका अपहरण करके उन्हें गहरे जंगलों में ले गई थीं क्योंकि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह करवाना चाहते थे।
ऐसे में मां पार्वती ने जंगल में तपस्या जारी रखी और भगवान शिव से विवाह किया।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव, देवी पार्वती और गणेश की पूजा करके और व्रत रखकर महिलाएं सुखी विवाहित जीवन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं।
तरीके
कैसे मनाया जाता है यह त्योहार?
इस दिन महिलाएं जल्दी उठकर नहाती हैं, फिर नए पारंपरिक कपड़े पहनती हैं और श्रृंगार करती हैं।
इसके बाद वे लाल कपड़े पर भगवान शिव, देवी पार्वती और गणेश की मिट्टी की मूर्तियां भी रखती हैं और आरती के लिए दीपक जलाकर उनकी पूजा करती हैं।
मां पार्वती को सुहागिन महिलाएं श्रृंगार की 16 वस्तुएं भी अर्पित करती हैं और भगवान शिव और गणेश को बेलपत्र, गाय का दूध, गंगाजल और धतूरा चढ़ाकर शिव-गौरी के विवाह की कथा सुनती हैं।
गलतियां
व्रत के दौरान भूल से भी नहीं करनी चाहिए ये गलतियां
व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए सफेद और काले वस्त्रों का उपयोग करना वर्जित होता है। इसका कारण है कि ये रंग अशुभ माने जाते हैं, इसलिए इनका उपयोग करने की गलती न करें।
हिंदू धर्म के मुताबिक, इस त्योहार के दौरान व्रत रखने वाली महिला को मन, कर्म और वचन से शुद्ध होना चाहिए अर्थात किसी के बारे में बुरा न सोचें, गलत कार्य न करें और किसी के प्रति गलत भाषा का प्रयोग न करें।