याददाश्त को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं खुशनुमा विचार, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
जब हमारे दिमाग में सकारात्मक ख्याल आते हैं तो हम खुशी महसूस करते हैं। इससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़ता है। इसी बीच वैज्ञानिकों ने मानव दिमाग से जुड़ा एक अहम अध्ययन किया है। इससे सामने आया है कि जब हम खुशनुमा विचार रखते हैं तो हमारी याददाश्त भी बेहतर हो जाती है। इस शोध से भूलने की बीमारी के इलाज में मदद मिल सकती है। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अध्ययन
चीन के शोधकर्ताओं ने किया यह अध्ययन
चीन के हांग्जो नॉर्मल विश्वविद्यालय और नानजिंग नॉर्मल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह शोध किया है। साथ ही इसे जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया था। इससे सामने आया है कि सकारात्मक भावनाएं न केवल हमें अच्छा महसूस कराती हैं, बल्कि मजबूत तंत्रिका समूह बनाकर चीजों को बेहतर ढंग से याद रखने में हमारी मदद करती हैं। यह भावनाएं मुख्य रूप से कुछ नया सीखते समय काम करती हैं।
प्रक्रिया
छात्रों को छवियां दिखाकर किया गया शोध
शोधकर्ताओं ने विश्वविद्यालय के 44 छात्रों के साथ एक प्रयोग किया था। इसके लिए छात्रों ने भावनात्मक छवियों के साथ बिना किसी मतलब वाली टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं को याद किया था। हर प्रतिभागी ने 144 अलग-अलग घुमावदार रेखाएं देखीं, जिनमें से प्रत्येक के पीछे या तो एक खुशनुमा छवि, सामान्य छवि या दुखद और डरावनी नकारात्मक छवि बनी थी। याद करने के चरण के दौरान सभी छवियों की जोड़ी को 3 बार दिखाया गया था।
नतीजे
सकारात्मक छवियों के साथ जुड़ी रेखाएं लोगों को ज्यादा याद रहीं
24 घंटे के बाद प्रतिभागियों ने एक परीक्षण दी। इसके जरिए यह देखा जा सका कि उन्हें रेखाएं कितनी अच्छी तरह याद थीं। प्रतिभागी नकारात्मक छवियों के साथ जोड़ी गई रेखाओं की तुलना में सकारात्मक छवियों के साथ जोड़ी गई रेखाओं को बेहतर तरीके से पहचान सके थे। असल सफलता सीखने और परीक्षण, दोनों चरणों के दौरान इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) का उपयोग करके प्रतिभागियों की मस्तिष्क गतिविधि की निगरानी से मिली।
निष्कर्ष
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
लोग जितनी बार सकारात्मक भावनाओं के साथ वाली रेखाएं को देखते थे, तो उनके दिमाग में उल्लेखनीय रूप से समान तंत्रिका पैटर्न दिखाई देते थे। इसे ऐसे समझें कि कैसे एक परिचित गीत हर बार सुनने पर एक ही भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है। यह स्थिरता प्रत्येक रेखाओं को देखने के 380-600 मिलीसेकंड के बीच दिमाग के दाहिने क्षेत्र में सबसे ज्यादा नजर आई। जिन प्रतिभागियों ने सकारात्मक छवियां अच्छी तरह याद रखीं, उन्होंने स्मृति परीक्षणों में सर्वोच्च अंक मिले।
नकारात्मक ख्याल
नकारात्मक खयालों का होता है उल्टा प्रभाव
अध्ययन के मुताबिक, नकारात्मक भावनाओं का प्रभाव बिल्कुल अलग था। नकारात्मक छवियों के साथ जोड़ी गई घुमावदार रेखाओं ने भी तंत्रिका समानता में वृद्धि दिखाई। हालांकि, ये भावनाएं याददाश्त को बेहतर नहीं बना पाती हैं। शोधकर्ता सलाह देते हैं कि जो छात्र परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें हमेशा सकारात्मक ख्यालों के साथ ही नई चीजें पढ़नी और याद करनी चाहिए। इससे उनकी याददाश्त बेहतर होगी और उन्हें अच्छे अंक मिलेंगे।