बच्चों में फैल रहा स्ट्रेप ए संक्रमण क्या है? जानिए इसके लक्षण, बचाव और इलाज
क्या है खबर?
ब्रिटेन में स्ट्रेप ए संक्रमण की वजह से 10 साल से कम उम्र के लगभग 15 बच्चे मर चुके हैं।
बच्चों में यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है और इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चिंता जताई है।
लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने माता-पिता को बच्चों को लेकर सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
आइए इस बैक्टीरियल संक्रमण और इसके लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में जानते हैं।
परिभाषा
क्या है स्ट्रेप ए संक्रमण?
ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस एक ऐसा बैक्टीरिया समूह है जो बच्चों के ब्लड सर्कुलेशन और फेफड़ों में प्रवेश करता है, जिससे एक घातक स्थिति बनती है।
इस संक्रमण में गले में हल्की खराश, त्वचा पर गुलाबी चिकत्ते और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम आदि हो जाते हैं।
ज्यादातर मामलों में बहुत कम ही लक्षण दिखते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में बच्चों को लाल बुखार भी हो सकता है।
लाल बुखार एक ऐसा बैक्टीरिया संक्रमण है जो बच्चों को बहुत प्रभावित करता है।
लक्षण
संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
आमतौर पर बच्चे स्ट्रेप ए बैक्टीरिया के संपर्क में आने के दो से पांच दिन बाद बीमार महसूस करने लगते हैं।
इस दौरान वह खाना निगलने में दिक्कत या निगलते समय दर्द महसूस कर सकते हैं।
बच्चों में बुखार, टॉन्सिल, मुंह में छोटे लाल धब्बे, गर्दन पर लिम्फ नोड्स में सूजन, थकान, सिरदर्द, भूख न लगना और पेट में दर्द जैसे लक्षण भी दिखते हैं।
इस बीमारी में बच्चों को डिहाइड्रेशन होने लगता है और वह चिड़चिड़ा महसूस करते हैं।
इलाज
क्या है बीमारी का इलाज और बचाव?
स्ट्रेप ए संक्रमण का अभी तक कोई इलाज नहीं है, लेकिन डॉक्टर इसके लिए एंटी-बॉयोटिक्स दवाएं देते हैं।
कई बार जब संक्रमण बढ़ जाता है तो मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है।
इसके अलावा इस संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई पर खास देने के लिए कहा जाता है।
इसके लक्षण दिखते ही डॉक्टर संक्रमित मरीज को मास्क लगाने और सफाई के साथ रहने के लिए कहते हैं क्योंकि यह खांसने और छींकने से फैल सकता है।
वजह
कैसे हुई मौत की संख्या में बढ़ोतरी?
स्ट्रेप ए से बच्चों की मौत की संख्या में अचानक बढ़ोतरी देखकर सभी हैरान हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह बच्चों के कमजोर इम्युन सिस्टम के कारण हो सकता है।
दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के समय बच्चे बाहर कम निकलते थे और अन्य लोगों से भी कम मिलते थे। इस वजह से वो बैक्टीरिया और अन्य संक्रमण के कम संपर्क में आए, जिसके कारण उनके शरीर में कम एंटीबॉडीज बनीं और उनका इम्युन सिस्टम कमजोर हुआ।