कैसे हुई थी रक्षाबंधन के त्योहार की शुरुआत? जानिए इससे जुड़ी 5 पौराणिक कहानियां
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम को दर्शाने वाला त्योहार है, जो इस साल 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस पर्व पर बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर राखी बांधने की प्रथा है, जो द्वापर युग से चलती आ रही है। काफी कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि इस पर्व को मनाने के पीछे एक नहीं, बल्कि कई पौराणिक कथाएं प्रचिलित हैं। हर त्योहार की तरह रक्षाबंधन मानाने के भी विशेष कारण हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का दिया था वचन
पहली कथा के अनुसार एक दिन भगवान कृष्ण पतंग उड़ा रहे थे, जिसके कारण उनकी उंगली कट गई थी। श्री कृष्ण की उंगली से खून बहता देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनके घाव पर बांध दिया था। इससे प्रसन्न होकर भगवन कृष्ण ने द्रौपदी को सुरक्षा का वचन दिया था। माना जाता है कि जब दु:शासन द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश कर रहा था, तब श्री कृष्ण की लीला ने ही उनकी लाज बचाई थी।
संतोषी माता का हुआ था जन्म
मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान गणेश अपनी बहन मनसा देवी के साथ रक्षाबंधन मना रहे थे। उन्हें देखकर श्री गणेश के पुत्र शुभ और लाभ भी रक्षाबंधन मनाने की जिद करने लगे। अपने पुत्रों की इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान गणेश ने ध्यान लगाया और अग्नि देव की पूजा की, जिसके जरिए संतोषी माता का जन्म हुआ था। इस तरह श्री गणेश को पुत्री की प्राप्ति हुई और शुभ-लाभ ने भी रक्षाबंधन मनाया।
देवी यमुना ने भाई यम को बांधी थी राखी
हिंदू धर्म के अनुसार, यमराज को मृत्यु का देवता माना जाता है और देवी यमुना उनकी बहन हैं। वे दोनों एक-दूसरे से 12 साल से नहीं मिले थे। इस कारण देवी यमुना उदास थीं और अपने भाई को बहुत याद करती थीं। यह देखकर देवी गंगा ने यम देव को अपनी बहन से मिलने जाने का सुझाव दिया था। यम देव के आगमन के बारे में सुनकर देवी यमुना ने कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और उनकी कलाई पर राखी बांधी।
देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर मनाया था रक्षाबंधन
विष्णु पुराण के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु से अपनी सुरक्षा की विनती की थी, जिसके बाद वह उनके द्वारपाल बन गए थे। यह सुनकर देवी लक्ष्मी बलि के दरबार में गईं और उनसे आश्रय मांगा, जिसके लिए वह मान गए। उनका धन्यवाद करने के लिए देवी लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधी थी और भेंट में भगवान विष्णु को लौटाने को कहा था। जानिए भारत के विभिन्न राज्यों में रक्षाबंधन का त्योहार कैसे मनाया जाता है।
इन्द्राणी ने अपने पति इन्द्र को पहनाई थी राखी
काफी कम लोग यह बात जानते हैं कि सबसे पहले राखी इन्द्राणी ने अपने पति इन्द्र देव को बांधी थी। जब देवों और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था, तब असुर देवों पर भारी पड़ रहे थे। यह देखकर देवराज इंद्र घबराकर ऋषि बृहस्पति के पास गए थे। इसके बाद ऋषि बृहस्पति के सुझाव पर देवी शुचि (इन्द्राणी) ने मंत्रों की शक्ति से पवित्र किया हुआ एक रेशम का धागा अपने पति के हाथ पर बांधा था।