Page Loader
यासीन मलिक ने UAPA न्यायाधिकरण ने दाखिल हलफनामे में कहा- 30 साल पहले छोड़ दिए हथियार
यासीन मलिक ने किया 30 साल पहले हथियार छोड़ने का दावा

यासीन मलिक ने UAPA न्यायाधिकरण ने दाखिल हलफनामे में कहा- 30 साल पहले छोड़ दिए हथियार

Oct 05, 2024
03:33 pm

क्या है खबर?

जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (JKLF-Y) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) न्यायाधिकरण में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें उसने दावा किया है कि उसने 1994 में यानी करीब 30 साल पहले ही सशस्त्र संघर्ष छोड़ दिया था और वह गांधीवादी हो गया है। बता दें कि न्यायाधिकरण 1990 के दशक के दौरान कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व करने वाले JKLF-Y पर लगाए गए प्रतिबंध की समीक्षा कर रहा है।

हलफनामा

मलिक ने की शांतिपूर्ण और स्वतंत्र कश्मीर की वकालत

मलिक ने हलफनामे में कहा, "1994 से सशस्त्र संघर्ष छोड़ने का मेरा निर्णय अहिंसक तरीकों से शांतिपूर्ण, एकजुट और स्वतंत्र कश्मीर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से था। ऐसे में मैने हथियार छोड़ दिए और अब गांधीवादी हो गया है।" मलिक ने दावा किया, "1990 के दशक से पहले अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि कश्मीर विवाद का समाधान सार्थक वार्ता से किया जाएगा। इसी तरह एकतरफा युद्धविराम की पहल करने पर उनके खिलाफ सभी आरोप हटा दिए जाएंगे।"

जानकारी

JKLF-Y को घोषित किया गैरकानूनी संगठन 

UAPA न्यायाधिकरण ने हाल ही में JKLF-Y को अगले 5 वर्षों के लिए एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया है, जिसमें 1994 से शीर्ष राजनीतिक और सरकारी हस्तियों के साथ इसके संबंधों का हवाला दिया गया है। इसको लेकर मलिक ने हलफनामा दायर किया है।

कारावास

तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है मलिक

बता दें कि मलिक इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा जांचे गए एक आतंकवादी वित्तपोषण मामले में दोषी ठहराया गया था। वह 1990 में श्रीनगर के रावलपोरा में 4 भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी भी है। इस वर्ष की शुरुआत में गवाहों ने मलिक की पहचान इस मामले में मुख्य हमलावर के रूप में की थी।