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    FSSAI ने पैकेज्ड पेयजल को 'उच्च जोखिम' श्रेणी में क्यों डाला और क्या है इसके मायने?
    FSSAI ने पैकेज्ड पेयजल को 'उच्च जोखिम' श्रेणी में डाला

    FSSAI ने पैकेज्ड पेयजल को 'उच्च जोखिम' श्रेणी में क्यों डाला और क्या है इसके मायने?

    लेखन भारत शर्मा
    Dec 03, 2024
    04:34 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और मिनरल वाटर को 'उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ' की श्रेणी में डाल दिया है।

    अब ये उत्पाद अनिवार्य निरीक्षण और तीसरे पक्ष की ऑडिट के अधीन होंगे। यह बदलाव इन उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से प्रमाणन की आवश्यकता को हटाने के सरकार के अक्टूबर में लिए गए फैसले के बाद आया है।

    FSSAI ने अब पैकेज्ड पानी और मिनरल वॉटर कंपनियों को झटका दिया है।

    कारण

    FSSAI ने क्यों उठाया यह कदम?

    दरअसल, बोतलबंद पानी की गुणवत्ता पर समय-समय पर सवाल खड़े होते रहे हैं। कई बार पानी की जांच में संदूषित कण भी पाए गए हैं। इसको लेकर FSSAI के पास शिकायतें भी पहुंची थी।

    इन बैक्टिरिया को कीटनाशक अवशेष और अन्य हानिकारक प्रदार्थ के रूप में भी शामिल किया जा सकता है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि सस्ती और नकली ब्रांड की बोतलों में पानी की शुद्धता की गारंटी नहीं होती है। ऐसे में यह कदम उठाया गया है।

    मायने

    FSSAI के इस कदम के क्या है मायने?

    FSSAI का पैकेज्ड पानी और मिनरल वाटर को 'उच्च जोखिम' वाले खाद्य पदार्थ के रूप में रखने का फैसला बड़ी चिंता का विषय नहीं है।

    इसका मतलब यह नहीं है कि ये उत्पाद असुरक्षित हैं। इसका मतलब है कि अब इन उत्पादों की सख्त सुरक्षा जांच की जाएगी।

    अब निर्माताओं और व्यवसायों को उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए नियमित निरीक्षण और वार्षिक ऑडिट से गुजरना होगा। इससे सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू हो सकेगा।

    मांग

    कंपनियों ने पहले यह की थी मांग

    इससे पहले पैकेज्ड पेयजल उद्योग ने केंद्र सरकार से सुव्यवस्थित नियमों की वकालत की थी, जिसमें BIS और FSSAI दोनों द्वारा दोहरे प्रमाणन की आवश्यकताओं को हटाना शामिल था।

    उन्होंने दो अलग-अलग प्राधिकरणों से प्रमाणन प्राप्त करने की आवश्यकता को हटाने की मांग की थी।

    उनका कहना था कि दोहरी प्रमाणन प्रक्रिया से इस व्यवसायों के सामने लागत में बढ़ोतरी, प्रशासनिक बोझ और प्रक्रियागत देरी जैसी चुनौतियों खड़ी हो रही है। इसका आम आदमी पर सीधा असर पड़ रहा है।

    राहत

    सरकार ने दे दी थी राहत

    बता दें कि भारत में पैकेज्ड पानी और मिनरल वाटर बनाने वाली कंपनियों को FSSAI लाइसेंस के साथ-साथ BIS का प्रमाणपत्र लेना भी जरूरी होता है।

    यह प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि पैकेज्ड पानी पीने योग्य है या नहीं।

    हालांकि, अक्टूबर में सरकार ने कंपनियों की मांगों को मानते हुए BIS प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था, लेकिन अब FSSAI ने इसे 'उच्च जोखिम' श्रेणी डालकर कंपनियों को बड़ा झटका दे दिया है।

    खाद्य प्रदार्थ

    ये हैं 'उच्च जोखिम' वाले अन्य खाद्य पदार्थ

    FSSAI ने पैकेज्ड पानी और मिनरल वाटर से पहले डेयरी उत्पाद और एनालॉग, मांस और मांस उत्पाद, मोलस्क, क्रस्टेशियन और इकाइनोडर्म वाली मछली और मछली उत्पाद, अंडे और अंडे से बने उत्पाद, विशेष पोषण संबंधी उपयोग के लिए खाद्य उत्पाद, भारतीय मिठाइयां और फोर्टिफाइड चावल के दानों को भी 'उच्च जोखिम' श्रेणी में डाल रखा था।

    इन सभी उत्पादों को हर साल नियमित निरीक्षण और ऑडिटिंग से गुजरना पड़ता है। अब पानी के साथ भी ऐसा होगा।

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