डोनाल्ड ट्रंप के इस्पात-एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का भारत पर क्या होगा असर?
क्या है खबर?
अमेरिका के नवनियुक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी व्यापार नीति में सोमवार को बड़ा बदलाव करते हुए अमेरिका आयात होने वाले इस्पात और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
उन्होंने यह भी कहा है कि जो भी देश अमेरिका पर शुल्क लगाएंगा, उसे भी पारस्परिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि किन देशों पर यह टैरिफ लगाया जाएगा।
ऐसे में आइए जानते हैं भारत पर इसका क्या असर होगा।
घोषणा
राष्ट्रपति ट्रंप ने क्या की है घोषणा?
राष्ट्रपति ट्रंप ने एयरफोर्स वन में कहा, "अमेरिका में आने वाले किसी भी इस्पात-एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। और बहुत ही सरल शब्दों में, अगर वे हमसे शुल्क लेते हैं, तो हम उनसे शुल्क लेंगे। अगर वे हमसे 130 प्रतिशत शुल्क ले रहे हैं और हम कुछ नहीं ले रहे हैं, तो यह ऐसा नहीं रहने वाला है।"
उन्होंने कहा कि वह पारस्परिक टैरिफ योजना के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए मंगलवार या बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।
प्रभाव
भारत पर क्या पड़ेगा इसका प्रभाव?
TOI के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप के इस निर्णय से भारत को बड़ा नुकसान हो सकता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक है।
भले ही भारत इस्पात और एल्युमीनियम में अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यातक नहीं है, फिर भी उसने साल 2023 में अमेरिका को लगभग 4 बिलियन डॉलर मूल्य (लगभग 34,400 करोड़ रुपये) का इस्पात और एल्युमीनियम भेजा है।
ऐसे में अब 25 टैरिफ लगने पर भारत को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
समझौता
दोनों देशों के बीच यह हुआ था समझौता
जनवरी 2024 में भारत और अमेरिका बिना टैरिफ के 3.36 लाख टन इस्पात-एल्यूमिनियन के आयात-निर्यात पर सहमत हुए थे।
अब अगर, ट्रंप 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाते हैं तो भारत के लिए मुश्किल बढ़ जाएगी और निर्यात पर असर होगा।
इससे अमेरिका में खरीददारों को इस्पात-एल्यूमिनियन के उत्पाद खरीदना महंगा पड़ जाएगा। इसके अलावा, अमेरिका में इन दोनों ही धातुओं के आयात में गिरावट आएगी और इससे भारत को सालाना करोड़ों-अरबों रुपये का नुकसान होगा।
आयात
कितना रहा है भारत का आयात?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पिछले 9 महीनों में भारत के तैयार इस्पात का आयात 6 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया।
अप्रैल-सितंबर की अवधि में भारत का इस्पात आयात 50.51 लाख टन रहा था, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 30.66 लाख टन ही रहा था।
वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल से सितंबर महीने के बीच 10.02 लाख टन की तुलना में इसी अवधि में चीन से आयात 10.85 लाख टन तक पहुंच गया है।
अन्य
अन्य देशों की क्या है स्थिति
कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया और वियतनाम अमेरिका के सबसे बड़े धातु आपूर्तिकर्ता हैं।
साल 2024 में अमेरिका आए कुल एल्युमीनियम में से 79 प्रतिशत कनाडा से आया था। कनाडा ने पिछले साल 60.6 लाख टन इस्पात भेजा था।
इसी तरह ब्राजील से 40.50 लाख टन और मेक्सिको से 30.50 लाख टन इस्पात आया था। ऐसे में अमेरिका की ओर से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद इन सभी देशों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
बयान
भारत को करना पड़ सकता है चुनौतियों का सामना- सिम
मूडीज रेटिंग्स के AVP हुई टिंग सिम ने TOI से कहा, "भारतीय इस्पात उत्पादकों को अपने उत्पादों के निर्यात में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पिछले 12 महीनों में भारत में इस्पात के उच्च आयात ने पहले ही भारत में इस्पात उत्पादकों की कीमतों और आय को कम कर दिया है।"
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आने वाले समय में भारत इस्पात का डंपिंग ग्राउंड बन सकता है, जिससे इस्पात बाजार की स्थिरता प्रभावित होगी।
आदेश
ट्रंप ने पहले कार्यकाल में भी लगाया था टैरिफ
ट्रंप ने पहले कार्यकाल के दौरान भी इस्पात पर 25 और एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। हालांकि, बाद में कनाडा, मेक्सिको और ब्राजील समेत कई व्यापारिक साझेदारों को छूट दी थी।
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने बाद में ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और जापान के साथ शुल्क मुक्त कोटा व्यवस्था पर बातचीत की थी।
हालांकि, ट्रंप ने नहीं बताया कि उन छूटों और कोटा व्यवस्थाओं का क्या होगा। इससे मामले में स्थिति अभी स्पष्ट बनी हुई है।