क्या है कोरोना वायरस का लैम्ब्डा वेरिएंट और ये चिंता का विषय क्यों है?
क्या है खबर?
भारत में पाए गए डेल्टा वेरिएंट के बाद अब कोरोना वायरस के एक और वेरिएंट ने विशेषज्ञों और तमाम देशों को चिंता में डाल दिया है।
यह वेरिएंट पहली बार पेरू में पाया गया लैम्ब्डा वेरिएंट है जिसके अधिक संक्रामक होने की संभावना जताई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इसे 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित कर दिया है और ये लगभग 30 देशों में पाया जा चुका है।
आइए आपको इसके बारे में महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
वेरिएंट
कब सामने आया था लैम्ब्डा वेरिएंट?
लैम्ब्डा वेरिएंट कोई नया वेरिएंट नहीं है। ये पहली बार पिछले साल अगस्त, 2020 में पेरू में सामने आया था।
अभी पेरू के लगभग 82 प्रतिशत मामले इसी वेरिएंट के हैं, वहीं पड़ोसी देश चिली में भी यह प्रमुख वेरिएंट है। यहां मई और जून में सामने आए 31 प्रतिशत मामलों के लिए ये वेरिएंट जिम्मेदार रहा।
यह वेरिएंट लगभग 30 देशों में पाया जा चुका है, हालांकि इन देशों में इसके बेहद कम मामले हैं।
म्यूटेशन
क्यों चिंता का कारण बना हुआ है लैम्ब्डा?
लैम्ब्डा वेरिएंट को लेकर इतनी चिंता का सबसे बड़ा कारण इसमें हुए म्यूटेशन हैं। WHO के अनुसार, लैम्ब्डा की स्पाइक प्रोटीन में कम से कम सात अहम म्यूटेशन हुए हैं जिनमें L452Q और F490S जैसे अहम म्यूटेशन भी शामिल हैं।
इसका मतलब क्या है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक के सबसे अधिक संक्रामक डेल्टा वेरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में महज तीन अहम म्यूटेशन हैं।
संक्रामक
क्या अधिक खतरनाक और घातक है लैम्ब्डा वेरिएंट?
स्पाइक प्रोटीन में हुए इन अहम म्यूटेशन्स के कारण लैम्ब्डा वेरिएंट को अधिक संक्रामक माना जा रहा है। चिली में हुई एक हालिया स्टडी में इसे ब्रिटेन में पाए गए अल्फा वेरिएंट और ब्राजील में पाए गए गामा वेरिएंट से अधिक संक्रामक पाया गया है।
वहीं मलेशिया ने इसके डेल्टा वेरिएंट से भी अधिक घातक होने की बात कही है।
हालांकि इन दोनों दिशाओं में अभी बहुत सीमित डाटा है और अधिक रिसर्च की जरूरत है।
भारत
क्या भारत को चिंता करने की जरूरत है?
अभी तक भारत या उसके किसी पड़ोसी देश में लैम्ब्डा वेरिएंट नहीं पाया गया है। यही नहीं, एशिया में केवल इजरायल एकमात्र ऐसा देश है जहां ये वेरिएंट पाया गया है।
हालांकि इस कारण लापरवाही नहीं की जा सकती और भारत को सावधान बने रहने की जरूरत है।
अगर लैम्ब्डा वेरिएंट के वैक्सीनेशन या प्राकृतिक इम्युनिटी को मात देन की आशंका सही साबित होती है तो यह भारत के लिए एक चिंता का विषय बन सकता है।
वैक्सीन
क्या लैम्ब्डा के खिलाफ कारगर हैं वैक्सीनें?
लैम्ब्डा वेरिएंट की लेकर चिंता करने का सबसे बड़ा कारण इसके खिलाफ वैक्सीनों का कम काम करना है। चिली में हुई स्टडी में चीन की सिनोवैक वैक्सीन को लैम्ब्डा वेरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी पाया गया है और आशंका जताई जा रही है कि अन्य वैक्सीनें भी इसके खिलाफ कम कारगर हो सकती हैं।
हालांकि इस बारे में कुछ अंतिम नहीं कहा जा सकता और अभी इस दिशा में और रिसर्च की जरूरत है।