
क्या है कोरोना संक्रमितों को बिना किसी संकेत के मौत की ओर धकेलने वाला हैप्पी हाइपोक्सिया?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को लिए प्रतिदिन नए खतरे सामने आए हैं।
हाल ही में कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद लोगों में सामने आया म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस संक्रमण डॉक्टरों के लिए चुनौती बना हुआ है और अब हैप्पी हाइपोक्सिया ने चिकित्सा विशेषज्ञों की चिंता को बढ़ा दिया है।
कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
यहां जानते हैं कि क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया और क्या है इसके कारण?
खतरा
भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं हैप्पी हाइपोक्सिया के मामले
हैप्पी हाइपोक्सिया का पहला मामला मार्च 2020 में इंडोनेशिया में सामने आया था। उस दौरान मरीज में कोई लक्षण नहीं थे, लेकिन जांच में उसका ऑक्सीजन स्तर 77 था।
भारत में जुलाई में इस तरह के कुछ मामले सामने आए थे, लेकिन दूसरी लहर में बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में ऐसे में सामने सामने आ चुके हैं।
बिहार के भागलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (JLNMCH) में तो 30 प्रतिशत मौतें इसी कारण हुई है।
सवाल
आखिर क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया?
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार हैप्पी हाइपोक्सिया कोरोना संक्रमण का एक नया लक्षण है। इसमें संक्रमति मरीज को बुखार, खांसी, सांस फूलने की समस्या नहीं होती है, लेकिन ऑक्सीजन का स्तर अचानक 30 प्रतिशत या इससे भी ज्यादा तक गिर जाता है। इससे किडनी, दिमाग, दिल और अन्य प्रमुख अंगों पर बुरा असर पड़ता है।
इस स्थिति में मरीज कोई पता नहीं चलता, लेकिन उसके फेफड़े 70 प्रतिशत खराब हो जाते हैं, जो मौत का कारण बनता है।
खतरा
खून की नसों में जम जाते हैं थक्के
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार हैप्पी हाइपोक्सिया की वजह से फेफड़ों में खून की नसों में थक्के जम जाते हैं। इससे फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन सप्लाई नहीं होती और खून में ऑक्सीजन सैचुरेशन कम होने लगता है।
इससे फिर धीरे-धीरे फेफड़े खराब होना शुरू हो जाते हैं। इसके बाद जब फेफड़े 70 प्रतिशत तक खराब हो जाते हैं तो मरीज का ऑक्सीजन लेवल बहुत तेजी से गिरता है और उन्हें तत्काल वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है।
बयान
हैप्पी हाइपोक्सिया से हुई 30 प्रतिशत मौतें- चौधरी
भागलपुर JLNMCH में मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजकमल चौधरी ने बताया कि अस्पताल में अब तक हुई 23 से 45 साल की उम्र के लोगों की मौतों में करीब 30 प्रतिशत मौते हैप्पी हाइपोक्सिया के कारण ही हुई है।
उन्होंने कहा मरीजों ने लक्षण नहीं होने के कारण कभी अपना कोरोना टेस्ट कराने की जहमत तक नहीं उठाई और फिर जब अचानक तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्हें गंभीर अवस्था में अस्पताल लाया गया। यह बहुत गंभीर स्थिति है।
खतरा
कोरोना की दूसरी लहर में युवाओं की मौत का कारण बन रहा है हैप्पी हाइपोक्सिया
दिल्ली-NCR में कोरोना मरीजों का उपचार करने वाली डॉ रेणू अग्रवाल और डॉ सुनील बालियान का कहना है कि बिना किसी लक्षण के ऑक्सीजन लेवल के अचानक कम होने से कई युवाओं की जान जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि युवाओं की इम्युनिटी मजबूत होती है, जिसकी वजह से संक्रमण होने पर हल्के लक्षण आते हैं। इन लक्षणों को युवा नजरअंदाज करते हैं। ऐसे में दूसरी लहर में यही युवाओं की मौत का बड़ा कारण बना हुआ है।
पहचान
कैसे करें हैप्पी हाइपोक्सिया की पहचान?
डॉ बालियान के अनुसार यदि मरीज में कोई लक्षण नहीं है तो उन्हें एक सांस में 30 तक गिनती गिननी चाहिए। इस दौरान यदि सांस लेने के तकलीफ हो तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोरोना मरीज में इसके लक्षण छह से नौ दिन के बीच आते हैं। इस मरीजों को छह मिनट तक टहलकर ऑक्सीजन की जांच करनी चाहिए। यदि यह 94 प्रतिशत से कम हो तो मरीज को बिना किसी देरी के अस्पताल जाना चाहिए।
जानकारी
हैप्पी हाइपोक्सिया में नजर आ सकते हैं ये भी लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज में ऑक्सीजन स्तर के गिरने के साथ होंठों का रंग नीले पड़ना, त्वचा का लाल होना या बैंगनी रंग में होना, बिना शारीरिक मेहनत के ही पसीना आना आदि लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
संक्रमण
भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 3,62,727 नए मामले सामने आए और 4,120 मरीजों की मौत हुई। तीन दिन की गिरावट के बाद मामलों में मामूली उछाल देखा गया है।
इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,37,03,665 हो गई है। इनमें से 2,58,317 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।
सक्रिय मामलों की संख्या भी दो दिन बाद बढ़कर 37,10,525 हो गई है।