
कनाडा चुनाव में मार्क कार्नी की जीत के भारत के लिए क्या हैं मायने?
क्या है खबर?
कनाडा में हुए 45वें आम चुनाव में मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी ने चौथी बार जीत हासिल की है। इसी तरह कार्नी ने भी जीत दर्ज कर ली है।
यह जीत कनाडा की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ भारत-कनाडा संबंधों के लिए भी खास मानी जा रही है।
जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में कनाडा के भारत से संबंध बिगड़ गए थे। आइए जानते हैं कार्नी की जीत के भारत के लिए क्या मायने हैं।
परिणाम
क्या रहे हैं कनाडा चुनाव के परिणाम?
अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक, कार्नी की लिबरल पार्टी 343 में से 167 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि पियरे पोलिवरे की कंजरवेटिव अभी करीब 145 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
ब्लॉक क्यूबकोइस (BQ) कुल 23 और जगमीत सिंह की NDP 7 सीटों पर आगे है। जगमीत खुद अपनी सीट से चुनाव हार गए हैं।
हालांकि, चुनाव में लिबरल पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में उसे गठबंधन सरकार बनानी पड़ेगी।
मजबूती
भारत से मजबूत हो सकते हैं कनाडा के द्विपक्षीय संबंध
विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री तथा बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर रहे कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कनाडा के भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध फिर से मजबूत हो सकते हैं।
उनके विदेश नीति के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की उम्मीद है।
कार्नी ने सोमवार को संकेत भी दिया कि सत्ता में आने पर वह नई दिल्ली के साथ संबंधों को पुनः स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने भारत के साथ संबंधों को महत्वपूर्ण बताया है।
व्यापार
कनाडा और भारत के बीच बढ़ सकता है व्यापार
कार्नी के प्रधानमंत्री बनने से भारत को व्यापार के क्षेत्र में बड़ा लाभ होने की उम्मीद है।
कार्नी ने कहा है कि कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है और भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के अवसर मौजूद हैं।
उन्होंने व्यापार के क्षेत्र में भारत को बड़ा खिलाड़ी भी करार दिया है। ऐसे में दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) वार्ता फिर शुरू हो सकती है।
व्यापार
भारत और कनाडा के बीच कितना है द्विपक्षीय व्यापार
भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2023-24 में 8.4 अरब डॉलर (72,240 करोड़ रुपये) का था, जिसमें भारत से कनाडा को 3.8 अरब डॉलर (32,680 करोड़ रुपये) का निर्यात और कनाडा से भारत को 4.6 अरब डॉलर (39,560 करोड़ रुपये) का आयात शामिल था।
हालांकि, 2024-25 में इसमें गिरावट देखने को मिली है, लेकिन अब कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस द्विपक्षीय व्यापार में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
आव्रजन
आव्रजन और वीजा पर कार्नी का क्या रुख है?
कार्नी के नेतृत्व में आप्रवासन नीतियां अनुकूल बनी रहने की उम्मीद है, खासकर भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए।
उनकी आर्थिक पृष्ठभूमि से पता चलता है कि कनाडा की नवाचार और कुशल कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
बेहतर राजनयिक संबंधों से छात्र और कार्य वीजा में वृद्धि हो सकती है और स्थायी निवास प्रक्रिया में तेजी आ सकती है।
चिंता
भारत के लिए बना रह सकता है खालिस्तान आतंकवाद का मुद्दा
कार्नी के नेतृत्व में कनाडा की नीतियां आर्थिक रूप से केंद्रित हो सकती हैं, लेकिन खालिस्तानी समर्थकों को लेकर भारत की चिंताएं बरकरार रहेंगी।
क्योंकि कार्नी ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले पर सीधे तौर पर बात करने से परहेज किया था और बातचीत से मुद्दे को सुलझाने का सुझाव दिया था।
कार्नी के खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई का वादा करने से तक यह भारत के लिए चिंता विषय रहेगा।