उत्तराखंड: बाढ़ में मरने वालों की संख्या 50 हुई, 150 से अधिक अभी भी लापता
बाढ़ से प्रभावित उत्तराखंड के चमोली जिले में एक हफ्ते बाद भी बचाव कार्य जारी हैं और रविवार का यहां कुल 12 शव बरामद हुए। इनमें से पांच शव तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की एक सुरंग से मिले, वहीं छह शव रैणी गांव स्थित एक पॉवर प्रोजेक्ट साइट और एक शव रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी में मिला। इसी के साथ बाढ़ में मरने वालों की संख्या 50 हो गई है, जबकि 150 से अधिक लोग अभी भी लापता है।
ग्लेशियर टूटने से आई थी बाढ़
7 फरवरी को चमोली जिले के जोशीमठ के तपोवन में नंदा देवी ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूट गया जिससे अलकनंदा और धौली गंगा नदियों में बाढ़ आ गई। समस्या तब और बढ़ गई जब बाढ़ के कारण तपोवन में अलकनंदा नदी पर बना ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का एक बांध टूट गया। बाढ़ से तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को भी नुकसान पहुंचा और इससे संबंधित एक निर्माणाधीन सुरंग में लगभग 35 लोग फंस गए।
20 मीटर नीचे स्थित दूसरी सुरंग के जरिए निकाला जा रहा मलबा
सुरंग में फंसे इन लोगों को बचाने के लिए पिछले एक हफ्ते से बचाव अभियान जारी है, हालांकि अभी तक इसमें खास सफलता नहीं मिली है। सुरंग के मलबे को हटाने के लिए बचावकर्मियों ने इससे 20 मीटर नीचे स्थित एक और सुरंग में ड्रिलिंग की और इसमें 30 सेंटीमीटर का छेद करते हुए मलबे को निकाला गया। इसी प्रक्रिया के दौरान टनल में 130 मीटर पर पहला शव बरामद हुआ। 10 मीटर आगे चार और शव बरामद हुए।
सभी लापता लोगों के मिलने तक जारी रहेगा अभियान- अधिकारी
गढ़वाल के डिविजनल कमिश्नर रविनाथ रमन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सुरंग में जिस दिशा में शव बरामद हुए हैं, बचावकर्मी उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2.5 किलोमीटर लंबी पूरी सुरंग से मलबे को निकाला जाएगा क्योंकि शव अंदर कहीं भी फंसे हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने इसकी कोई निश्चित समयसीमा नहीं बताई। उन्होंने कहा कि जब तक सभी लापता लोग नहीं मिल जाते, अभियान जारी रहेगा।
50 में से 24 शवों की हुई पहचान, सबसे अधिक उत्तराखंड के
पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) नीलेश आनंद भारने ने बताया कि अभी तक जो 50 शव बरामद हुए हैं, उनमें से 24 की पहचान हो चुकी है। इनमें 11 उत्तराखंड, नौ उत्तर प्रदेश, दो जम्मू-कश्मीर और हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के एक-एक शख्स हैं। इसके अलावा 23 शरीर के हिस्से भी बरामद हुए हैं जिनमें से मात्र एक की पहचान हो सकी है। अज्ञात शवों और हिस्सों को पहचान के लिए जोशीमठ, गोपेश्वर और करनप्रयाग के अस्पताल में रखा गया है।
बाढ़ से दिल्ली में पानी की सप्लाई पर पड़ा असर
उत्तराखंड में आई इस बाढ़ के कारण दिल्ली में पानी की सप्लाई पर भी असर पड़ा है और दिल्ली जल बोर्ड के दो प्लांट कम क्षमता पर काम कर रहे हैं। दरअसल, बाढ़ के बाद ऊपरी गंगा नहर से आ रहे पानी में गंदगी 8,000 NTU के स्तर पर पहुंच गई है जो 100 NTU के सामान्य स्तर से बहुत अधिक है। इसके कारण दक्षिण, पूर्व और उत्तर-पूर्व दिल्ली में पानी की सप्लाई पर असर पड़ा है।