किसी ने बेची पुश्तैनी जमीन, किसी ने चुकाए 1 करोड़ रुपये; निर्वासित प्रवासियों की दुखद कहानी
क्या है खबर?
अमेरिका से 5 फरवरी को वापस भारत भेजे गए अवैध भारतीय प्रवासियों को भारी झटका लगा है। उनकी पूंजी खत्म हो गई और विदेशी देश में पैसे कमाने का सपना भी चकनाचूर हो गया।
अमृतसर पहुंचे 104 भारतीय नागरिकों में कुछ ने अपनी पीड़ा सुनाई, जो झकझोरने वाली थी। उन्होंने न केवल अपने अमेरिका जाने के तरीके को साझा किया, बल्कि वहां के हालात को भी बताया।
अधिकतर प्रवासियों को एजेंट और एजेंसियों ने धोखा दिया था।
आपबीती
गुजराती परिवार ने चुकाए 1 करोड़ रुपये
अमेरिकी सैन्य विमान से निर्वासित होकर अमृतसर पहुंचने वाले एक गुजराती परिवार ने बताया कि उन्होंने अमेरिका पहुंचने में मदद के लिए 1 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
परिवार का दावा है कि एजेंट ने उनको सुरक्षित तरीके से अमेरिका भेजने की बात कही थी, लेकिन उसने धोखा दिया।
इसकी तरह पंजाब से अमेरिका गए आकाशदीप के पिता ने बताया कि उन्होंने बेटे को भेजने के लिए जमीन, घर के आभूषण और मवेशी बेच दिए और कर्ज लिया था।
कहानी
पुश्तैनी जमीन बेचकर पहुंचे अमेरिका
आकाशदीप के पिता ने बताया कि उन्होंने 65 लाख से अधिक रुपये खर्च किए थे। बेटे को 23 जनवरी को पकड़ लिया गया। पिता अपनी आर्थिक दिक्कत खत्म करना चाहते थे।
इसी तरह हरियाणा में करनाल के 20 वर्षीय आकाश की अमेरिका जाने की जिद के कारण उसके भाई ने 2.5 एकड़ पुश्तैनी जमीन बेंच दी और 65 लाख रुपये एजेंट को दिए थे।
आकाश 10 महीने पहले गया था, उसे 26 जनवरी को मैक्सिको पार करने पर पकड़ा गया।
ट्विटर पोस्ट
सुनिए, क्या बोले निर्वासित नागरिक
#WATCH होशियारपुर, पंजाब: अमेरिका में अवैध रूप से प्रवास करने वाले एक भारतीय नागरिक ने बताया, "...मुझे झूठ बोला गया था कि मुझे वैध तरीके से भेजा जाएगा, लेकिन मुझे 'डंकी' के रास्ते भेजा गया... मुझे रास्ते में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा... मुझे अमेरिकी सीमा पर 20 दिनों… pic.twitter.com/ET0XlcL9xW
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 6, 2025
ट्विटर पोस्ट
निर्वासित प्रवासी का अनुभव
कैथल, हरियाणा के इस बालक को ज़रा सुनिए- भाई डंकी रूट से गया था..बॉर्डर कूद कर अमेरिका में दाखिल हुआ..वहाँ असायलम का आवेदन(भारत में जान का खतरा बताते हुए अमेरिका में शरण देने की अपील)किया।
— Pranay Upadhyaya (@JournoPranay) February 6, 2025
अमेरिका से लौटाए गए ऐसे लोगों से कितनी सहानुभूति होनी चाहिए? pic.twitter.com/iiBVWtaFhU