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    पूजा स्थल अधिनियम से जुड़ी असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
    पूजा स्थल अधिनियम से जुड़ी ओवैसी की याचिका पर 17 फरवरी को सुनवाई होगी

    पूजा स्थल अधिनियम से जुड़ी असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

    लेखन आबिद खान
    Jan 02, 2025
    02:44 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पूजा स्थल अधिनियम से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है।

    इस याचिका में ओवैसी ने 1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग की है।

    मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने ओवैसी की याचिका को इसी मामले पर लंबित अन्य 6 मामलों के साथ जोड़ने का आदेश दिया है।

    सुनवाई 

    17 फरवरी को सभी याचिकाओं पर सुनवाई

    ओवैसी ने 17 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के जरिये कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    उनके वकील ने कहा, "ओवैसी ने अपनी याचिका में केंद्र को कानून का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है। कोर्ट ने सभी याचिकाओं को एक साथ सुनने का निर्णय लिया है और हमारी याचिका भी उनके साथ जोड़ी जाएगी।"

    जानकारी

    INDIA गठबंधन भी दायर कर सकता है याचिका

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, विपक्षी गठबंधन INDIA भी इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। INDIA कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दायर कर सकता है। पहले भी कुछ विपक्षी पार्टियों इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुकी हैं।

    आखिरी सुनवाई 

    6 याचिकाओं पर 12 दिसंबर को हुई थी आखिरी सुनवाई

    इस मामले से जुड़ी 6 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 12 दिसंबर को सुनवाई हुई थी।

    तब कोर्ट ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक मंदिर-मस्जिद से जुड़ा कोई भी नया मुकदमा दायर नहीं होगा।

    कोर्ट ने केंद्र सरकार से 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा था।

    पीठ ने कहा था, "जब तक केंद्र जवाब नहीं दाखिल करता, हम सुनवाई नहीं कर सकते। अगले आदेश तक ऐसा कोई नया मामला दाखिल ना किया जाए।"

    याचिकाकर्ता

    किन-किन लोगों ने दायर की है याचिका?

    मुख्य याचिका धार्मिक गुरु और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने 2020 में दायर की थी।

    इसके बाद काशी राजघराने की राजकुमारी कृष्ण प्रिया, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय, धार्मिक नेता स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती, मथुरा के देवकीनंदन ठाकुर, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, वकील चंद्रशेखर, रुद्र विक्रम सिंह, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा समेत कुछ और लोगों ने याचिकाएं दायर की हैं।

    अधिनियम

    क्या है पूजा स्थल अधिनियम?

    पूजा स्थल अधिनियम विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों से संबंधित है।

    अधिनियम में देशभर के पूजा स्थलों के धार्मिक स्वरूप को बदलने पर प्रतिबंध लगाया गया है और वो 15 अगस्त, 1947 को आजादी के समय जैसे थे, उन्हें उसी धार्मिक स्वरूप में रखने का प्रावधान किया गया है।

    अधिनियम की धारा 3 में एक धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में बदलने पर रोक लगाई गई है।

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