सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में IMA को लगाई फटकार, दिया दोबारा माफीनामा छपवाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) अध्यक्ष वी अशोकन को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने अखबारों में प्रकाशित माफीनामे के फॉन्ट और आकार पर असंतोष जताते हुए अध्यक्ष को 'द हिंदू' अखराब के 20 संस्करणों में दोबारा से स्पष्ट माफीनामा प्रकाशित कर एक सप्ताह में उपलब्ध कराने के आदेश दे दिए। आइए जानते है कोर्ट ने मामले में क्या कुछ कहा।
कोर्ट ने माफीनामे पर क्या कहा?
जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने कहा, "पब्लिकेशन का साइज तो देखें, इसे पढ़ भी नहीं पा रहे हैं। यह 0.1M से भी कम है। अगर आपको कोई आपत्ति है तो बताएं। हम तब तक नहीं मानेंगे, जब तक विज्ञापन भौतिक रूप से न दिखे और हमे असली साइज न दिखाया जाए।" कोर्ट ने कहा, "IMA के वकील को निर्देश दिया जाता है कि विज्ञापन को 20 संस्करणों में दोबारा प्रकाशित कर कॉपी हमें उपलब्ध कराएं।"
क्या है भ्रामक विज्ञापन का मामला?
कोरोना वायरस महामारी के दौरान पतंजलि ने कोरोनिल समेत कई दवाएं लांच कर कोरोना को ठीक करने और एलोपैथी दवाओं के खिलाफ प्रचार किया था। इसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कोर्ट में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ याचिका दायर की, जिस पर पतंजलि ने नवंबर 2023 को भ्रामक विज्ञापन बंद करने की बात कही थी। हालांकि, यह विज्ञापन जारी रहे, जिसके बाद कोर्ट ने फरवरी 2024 में आदेश के उल्लंघन पर मानहानि की कार्यवाही शुरू की थी।