सुप्रीम कोर्ट का हाई कोर्ट्स को निर्देश, सांसद-विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों को जल्दी निपटाएं
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विधानसभाओं और संसद के सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के निपटारे में तेजी लाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने देभर के सभी हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वे ऐसे मामलों का स्वतः संज्ञान लें और विशेष सांसद/विधायक कोर्ट में चल रहे मामलों की निगरानी करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भाजपा के नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
कोर्ट ने क्या निर्देश दिए?
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ , न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने हाई कोर्ट्स के लिए 7 बिंदु के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने हाई कोर्ट्स को निर्देश दिया कि वह अपने स्तर पर मामले दर्ज करें और उन मामलों को प्राथमिकता दें, जिनमें मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो। पीठ ने कहा कि राज्यों के बीच असमानताओं के कारण मामलों के निपटारे के लिए एक समान दिशा-निर्देश स्थापित नहीं हो सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या निर्देश दिए?
CJI ने कहा, "हाई कोर्ट विशेष सांसद/विधायक कोर्ट के मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज करे। मामले में कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली विशेष पीठ या उनके द्वारा नियुक्त पीठ सुनवाई कर सकती है।" सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि विशेष पीठ आवश्यकतानुसार मामले को नियमित अंतराल पर सूचीबद्ध कर सकती है और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आवश्यकतानुसार प्रभावी निपटान के लिए आवश्यक आदेश और निर्देश जारी कर सकते हैं।
कोर्ट ने हाई कोर्ट को और क्या निर्देश दिए?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशा-निर्देश में ये भी कहा कि विशेष पीठ सहायता के लिए महाधिवक्ता या लोक अभियोजक की सहायता पर ले सकती है। कोर्ट ने आगे कहा, "हाई कोर्ट विषयगत मामलों को आवंटित करने की जिम्मेदारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को दे देकर उन्हें रिपोर्ट भेजने के लिए भी कह सकता है।" इसके अलावा हाई कोर्ट को वेबसाइट पर स्वतंत्र टैब बनाकर लंबित मामलों से जुड़ी जानकारी को वहां दर्ज करने के भी निर्देश दिया गया है।
हाई कोर्ट्स की निगरानी में चलते हैं सांसद/विधायक कोर्ट
बता दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही सांसद/विधायक कोर्ट का गठन हुआ था। वर्तमान में 9 राज्यों में ऐसे 10 कोर्ट हैं। बिहार और केरल में इन्हें बंद कर दिया गया है। इन विशेष कोर्ट के प्रदर्शन की निगरानी हाई कोर्ट करता है।
क्या है मामला?
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने राजनीति का अपराधीकरण कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए मांग की गई है कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों के आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जाए। अभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, 2 साल या इससे अधिक सजा होने पर सांसदों और विधायक 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते।