किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण, स्थानीय लोगों ने किसानों के टेंट उखाड़े
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन वाली जगह पर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। जगह खाली कराने की मांग के साथ आए खुद को स्थानीय बताने वाले कुछ लोगों ने किसानों के टेंट उखाड़कर फेंक दिए हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि किसानों और इन लोगों के बीच पत्थरबाजी भी हुई है। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए लाठीचार्ज किया है और आंसू गैस के गोले भी दागे हैं।
नवंबर से सिंघु बॉर्डर पर बैठे हैं किसान
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में बड़ी संख्या में किसान पिछले साल नवंबर से सिंघु, टिकरी और गाजीपुर समेत दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों में अधिकतर हरियाणा और पंजाब के किसान है और यहीं किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र बना हुआ है। यहीं से आंदोलन की आगे की दिशा तय होती है और यहीं किसान नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं।
जगह खाली कराने की मांग कर रहे स्थानीय लोग
26 जनवरी की हिंसा के बाद किसान आंदोलन पर उठने वाले सवाल तेज हो गए हैं। गुरुवार को भी खुद को स्थानीय बताने वाले कुछ लोग प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे थे। इन्होंने किसानों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनस्थल खाली कराने की मांग की थी। इन लोगों के साथ हिंदू सेना संगठन के कार्यकर्ता भी शामिल थे। शुक्रवार को एक बार फिर लोगों का एक समूह सिंघु बॉर्डर पहुंचा और जगह खाली कराने की मांग की।
फिलहाल स्थिति नियंत्रण में
झड़प के बाद पुलिस ने स्थानीय लोगों को वापस प्रदर्शन स्थल से दूर खदेड़ दिया। हालांकि, इसके लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं और संगठनों के नेता किसानों से बात कर रहे हैं।
टिकरी बॉर्डर को भी खाली कराने की मांग
सिंघु बॉर्डर के साथ-साथ टिकरी बॉर्डर से भी प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने की मांग की जा रही है। यहां भी हरियाणा और पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से आए किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ डटे हुए हैं। यहां अभी तक प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रदर्शन के चलते उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी और कामकाज में परेशानी हो रही है। इसलिए यहां से प्रदर्शनकारियों को हटाया जाना चाहिए।
प्रशासन ने की थी गाजीपुर से प्रदर्शन हटाने की कोशिश
इससे पहले प्रशासन ने गाजीपुर बॉर्डर से भी प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की थी। इसके चलते पहले प्रदर्शनस्थल की बिजली आपूर्ति बंद की गई और बाद में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई, लेकिन वहां प्रदर्शन की कमान संभाल रहे राकेश टिकैत ने हटने से मना कर दिया। उन्होंने भावुक होकर लोगों से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की। इसके बाद हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से सैकड़ों ट्रैक्टर प्रदर्शन में शामिल होने पहुंच गए।
आंदोलन क्यों कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।