महिलाओं का सर्वोच्च सम्मान करता है सुप्रीम कोर्ट, नहीं दिया रेपिस्ट को शादी का प्रस्ताव- CJI
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले सप्ताह दुष्कर्म के मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान पीड़िता से शादी करने के संबंध में की गई टिप्पणी पर उपजे विवाद पर सोमवार को शीर्ष आदालत ने स्थिति स्पष्ट की है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे ने कहा कि अदालत और एक संस्था के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में हमेशा महिलाओं के लिए सर्वोच्च सम्मान रहा है। मामले में अदालत के समक्ष कार्यवाही की पूरी तरह गलत रिपोर्टिंग की गई है।
दुष्कर्म के आरोपी ने दाखिल की थी जमानत याचिका
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार 1 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग के साथ यौन शोषण मामले में महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड में तकनीशियन पर कार्यरत आरोपी की गिरफ्तारी पर चार हफ्ते के लिए रोक लगाई थी। दरअसल, मामले में आरोपी को सेशन कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट से याचिका को खारिज कर दिया। उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शादी के संबंध में टिप्पणी की थी।
आरोपी ने पीड़िता के परिजनों से किया था शादी का वादा
दरअसल, आरोपी सुभाष चवण (23) ने 2014 में 16 वर्षीय नाबालिग का यौन शोषण किया था। उस दौरान उसने परिजनों से उसके बालिग होने पर शादी का वादा किया था, लेकिन बाद में वह मुकर गया। इस पर परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी यह टिप्पणी
मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी ने कहा था कि वह सरकारी कर्मचारी है और यदि उसे जमानत नहीं मिली तो सरकार उसे निलंबित कर देगी। CJI बोबडे, जस्टिस एसए बोपन्ना और वी रामासुब्रह्मण्यन की पीठ ने कहा था कि उसे ऐसा कार्य करने से पहले यह बात सोचनी चाहिए थे। यदि वह पीड़िता से शादी कर रहा है तो कोर्ट बताए, अन्यथा वह कहेंगे कि कोर्ट उसे शादी करने के लिए मजबूर कर रहा है। कोर्ट ऐसा नहीं करेगा।
आरोपी ने दी थी शादी नहीं करने को लेकर दलील
सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील आनंद दिलीप लांडगे ने कहा था उसने शादी का वादा किया था, लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकता है। इसका मूल कारण यह है कि वह पहले से शादीशुदा है और कानूनन वह दूसरी शादी नहीं कर सकता है।
CJI की टिप्पणी पर हुआ था विवाद
मामले में CJI द्वारा आरोपी से शादी करने की बात पूछने पर विवाद हो गया था। लोगों और कानून के जानकारों का कहना था कि कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को शादी का प्रस्ताव देकर महिलाओं का अपमान किया है। इससे लोगों में दुष्कर्म करने और मामले से बचने के लिए शादी करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्थिति स्पष्ट की है और कहा कि मामले की पूरी तरह से गलत रिपोर्टिंग की गई है।
एक संस्था के रूप में नारीत्व का करते हैं सर्वोच्च सम्मान- CJI
मामले में CJI बोबड़े ने कहा, "एक अदालत और संस्था के रूप में हमने हमेशा नारीत्व का सर्वोच्च सम्मान किया है। खबरों और एक्टिविस्ट ने टिप्पणी को संदर्भ से बाहर देखा है, जो विवाद पैदा करने और अदालत की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।" उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने याचिकाकर्ता से पूछा था कि क्या वह शिकायतकर्ता से शादी करेगा? यह नहीं कहा था कि "जाओ और शादी करो"। इस मामले की पूरी तरह से गलत रिपोर्टिंग की गई।"
बार के हाथों में हैं हमारी प्रतिष्ठा- CJI
CJI की टिप्पणी पर एक वकील ने कहा कि कुछ लोग न्यायपालिका की छवि को खराब करते हैं और इन लोगों से निपटने के लिए कुछ व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "बार के हाथों में हमारी प्रतिष्ठा है, हमें इस तरह हमारी रक्षा करने की जरूरत नहीं है।" सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा मामले में अदालत के बयानों को पूरी तरह से तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है।