जानें क्या है महेंद्र सिंह धोनी और आम्रपाली समूह के बीच चल रहा विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली को क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के साथ हुए सभी आर्थिक लेनदेन की जानकारी बुधवार तक सौंपने को आदेश जारी किया है। कोर्ट ने यह आदेश धोनी की उस याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अग्रिम भुगतान करने के बावजूद आम्रपाली समूह ने उन्हें उनके बंगले पर कब्जा नहीं दिया है। धोनी ने ब्रांड एंबेसडर के तौर पर काम करने के लिए कंपनी से अपना बकाया भी मांगा है।
क्या है पूरा मामला?
धोनी और आम्रपाली समूह के बीच विवाद पिछले काफी समय से चल रहा है और पिछले महीने धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में समूह पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए धोनी ने बताया था कि उन्होंने आम्रपाली सफारी प्रोजेक्ट के तहत रांची में एक पेंटहाउस बुक किया था और इसका अग्रिम भुगतान भी कर दिया था। लेकिन कंपनी ने अभी तक उन्हें इसका कब्जा नहीं दिया है।
ब्रांड एंबेसडर के तौर पर काम करने के लिए नहीं मिले पैसे
धोनी ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उन्होंने 2009 से 2016 के बीच आम्रपाली समूह के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर काम किया, लेकिन उनकी सेवाओं का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने इसके लिए 40 करोड़ रुपये के भुगतान की मांग की थी। इसके अलावा धोनी ने अन्य घर खरीदारों की तरह कंपनी के लेनदारों की सूची में उनका भी नाम शामिल किया जाने की मांग की थी।
क्या है आम्रपाली समूह से संबंधित पूरा मामला?
आम्रपाली समूह पिछले कुछ सालों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। कंपनी ने लोगों से पैसे तो ले लिए, लेकिन उन्हें फ्लैट और घर का कब्जा देने में नाकाम रही। इसके लिए 46,000 से ऊपर घर खरीदारों ने कंपनी के खिलाफ केस भी किया है। कंपनी के CMD अनिल सर्मा और दो निदेशक, शिव दीवानी और अजय कुमार, को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस हिरासत में भी लिया गया था। वो अभी भी जेल में हैं।
1 रुपये में भी बेचे फ्लैट
इसके अलावा कोर्ट द्वारा नियुक्त ऑडिटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि कंपनी ने 500 से अधिक लोगों को महज 1 रुपये, 5 रुपये और 11 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से आलीशान फ्लैट बेचे थे।
कैसा रहा आम्रपाली समूह का सफर?
आम्रपाली समूह ने नोएडा में 140 फ्लैट्स की हाउसिंग स्कीम के साथ 2003 में शुरूआत की थी। IIT खड़गपुर से पढ़े अनिल ने कंपनी को अगले 10 साल में आसमान तक पहुंचा दिया। 2014-15 में कंपनी के चेक बाउंस होने लगे और उसका बुरा दौर शुरु हो गया। घर खरीदारों को जब घर नहीं मिले तो उन्होंने कंपनी के खिलाफ केस कर दिया। कोर्ट ने कंपनी की संपत्ति की नीलामी करके घर खरीदारों का पैसा वापस करने का आदेश दिया।