पंजाब: अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर भाला लेकर बैठे पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार से अपनी धार्मिक सजा (तनखाह) का पालन शुरू कर दिया है। बादल पहले दिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर भाला लेकर बैठे दिखाई दिए। बादल नीले रंग का वस्त्र (चोंगा) और पगड़ी पहने व्हीलचेयर पर बैठे थे। उनसे आसपास कड़ी सुरक्षा भी दिखी। उनके गले पर एक तख्ती लटकी थी, जिसमें स्थानीय भाषा में अपराधियों द्वारा माफी मांगने की बात लिखी हुई थी।
जूठे बर्तन भी साफ करेंगे बादल
जानकारी के मुताबिक, बादल 2 दिन तक 1-1 घंटे स्वर्ण मंदिर के अलावा श्री केशगढ़ साहिब, श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो, श्री मुक्तसर साहिब, श्री फतेहगढ़ साहिब में भी सेवा देंगे। इसके बाद लंगरों में जाकर एक-एक घंटे तक जूठे बर्तन साफ करेंगे और कीर्तन में बिना कुछ बोले बैठेंगे। 2015 में बादल की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सभी तत्कालीन विधायक भी स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करेंगे। सभी दोषियों को श्रद्धालुओं के जूते भी साफ करने होंगे।
कल सुनाई गई थी सजा
सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त साहिब पर पंच सिंह साहिबों ने सोमवार को स्वर्ण मंदिर में बादल और उनके साथ के मंत्रियों को तनखाह सुनाई थी। बादल ने पंच सिंह साहिब के सामने अपनी गलतियों को कबूल किया था। अकाल तख्त ने 2 महीने पहले ही सभी को 'तनखैया' (धार्मिक दोषी) घोषित किया था। अकाल तख्त ने 6 महीने में अकाली दल का नया अध्यक्ष चुनने को कहा और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से फख्र-ए-कौम उपाधि छीनी है।
क्यों दी गई बादल को सजा?
पंजाब में 2007 से 2017 तक अकाली दल और उनकी सरकार द्वारा की गई "गलतियों" के लिए 30 अगस्त को बादल को 'तनखैया' घोषित किया था। बादल पर अपने कार्यकाल में सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को ईशनिंदा मामले में माफी और निर्दोष सिखों की हत्या में शामिल पुलिस अधिकारियों को पदोन्नति देने का आरोप था। राम रहीम पर 2007 में ईशनिंदा का मामला दर्ज हुआ था, लेकिन अकाली दल सरकार ने मामला वापस ले लिया था।