
गाय के गोबर से मोबाइल फोन रेडिएशन कम होने के दावे पर वैज्ञानिकों ने मांगे सबूत
क्या है खबर?
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से गाय के गोबर से बनी चिप के जरिए मोबाइल फोन रेडिएशन कम करने के दावे ने वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
वैज्ञानिक अब इस शोध में जुटे हैं कि क्या वाकई में गोबर से ऐसी चिप बन सकती है जो मोबाइल से निकलने वाली विकिरण को कम कर दे।
इसको लेकर अब वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस सबंध में सबूत प्रस्तुत करने को कहा है।
प्रकरण
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने किया था यह दावा
गत 13 अक्टूबर को राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कठेरिया ने एक चिप का अनावरण किया था।
उन्होंने दावा किया था कि चिप गाय के गोबर से बनी है। गाय के गोबर में एंटी-रेडिएशन क्वालिटी होती है और इससे मोबाइल रेडिएशन भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
उन्होंने कहा था कि रेडिएशन से बचने के लिए 'गौसत्व' नाम की इस चिप का उपयोग किया जा सकता है। इसे राजकोट स्थित श्रीजी गौशाला ने बनाया है।
सबूत
अब वैज्ञानिकों ने मांगे आयोग से सबूत
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से इस तरह का दावा किए जाने के बाद वैज्ञानिकों में इसको लेकर बहस शुरु हो गई थी।
ऐसे में अब करीब 600 वैज्ञानिकों और विज्ञान के शिक्षकों ने आयोग के अध्यक्ष कथीरिया को पत्र लिखकर कहा है कि वह गोबर की चिप से मोबाइल फोन विकिरण कम करने में मदद मिलने संबंधी अपनी दावों को साबित करने के लिए वैज्ञानिक सबूत पेश करें। इसके बाद भी उनके दावों पर यकीन किया जा सकता है।
सवाल
चिप को लेकर कब हुए वैज्ञानिक प्रयोग?
'इंडिया मार्च फॉर साइंस' की मुंबई शाखा ने एक बयान में कहा कि वैज्ञानिकों ने यह भी जानकारी मांगी है कि गाय के गोबर से बनी चिप के संबंध में वैज्ञानिक प्रयोग कब और कहां हुए और मुख्य जांचकर्ता कौन था?
उन्होंने यह भी जानकारी मांगी कि इस संबंधी अध्ययन के परिणाम कब और कहां प्रकाशित हुए थे।
इसके अलावा उन्होंने आयोग अध्यक्ष से उन्होंने इस संबंध में सभी डाटा और प्रायोगिक विवरण प्रदान करने की भी बात कही है।
दीपक
आयोग बना रहा गाय के गोबर से बने दीपक
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से गाय के गोबर से मोबाइल फोन विकिरण कम करने के लिए चिप ही नहीं बनाई गई है, बल्कि वह चीनी लाइट्स की तुलना में गाय के गोबर से दीपक भी बना रहा है।
आयोग अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने इस दीवाली पर बाजार में गोबर से बने करीब 33 करोड़ पर्यावरण अनुकूल दीपक बनाने का लक्ष्य रखा है। 15 से अधिक राज्य इसका हिस्सा होंगे। अयोध्या में तीन लाख दिए जलाए जाएंगे।