प्रधानमंत्री मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधन, पूछे कई कड़े सवाल
संयुक्त राष्ट्र (UN) महासभा की 75वीं वर्षगांठ पर शुक्रवार को आयोजित वर्चुअल आमसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र से कई कड़े सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि भारत के लोग UN के सुधार को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रक्रिया कभी निर्णायक फैसले पर पहुंच पाएगी। भारत कब तक स्थाई सदस्यता के लिए इंतजार करता रहेगा?
आखिर निर्णय लेने वाली बॉडी से अलग रहेगा भारत- मोदी
प्रधामंत्री मोदी ने कहा कि एक देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां विश्व की 18 प्रतिशत जनसंख्या रहती है, जहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां हैं, विभिन्न संप्रदाय हैं और अनेकों विचारधाराएं हैं। जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और गुलामी दोनों को जिया है। जिस देश के परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक निर्णय लेने वाली बॉडी से अलग रखा जाएगा।
कोरोना महामारी से निपटने के प्रयासों में कहां है संयुक्त राष्ट्र?
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी पर कहा कि आठ-नौ महीने से पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली प्रतिक्रिया कहां है? उन्होंने कहा कि इस मुश्किल दौर में भारत की फॉर्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं। वह वैश्विक समुदाय को आश्वासन देना चाहते हैं कि भारत की वैक्सीन डिलीवरी क्षमता पूरी मानवता को संकट से बाहर निकालने में काम आएगी।
भारत के लिए परिवार की तरह है पूरा विश्व- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत पूरे विश्व को परिवार मानता हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। उन्होंने कहा कि भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। भारत अपनी विकास यात्रा के अनुभव साझा करने में पीछे नहीं रहा।
संयुक्त राष्ट्र में बदलाव करना है समय की मांग- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माना तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन अनेकों युद्ध और गृहयुद्ध हुए हैं। कितने ही आतंकी हमलों से खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों और हमलों में मेरने वाले भी इंसान ही थे। लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़ कर चले गए। उस समय और आज भी संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे? ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में बदलाव समय की मांग है।
डिजिटल लेनदेन में दुनिया में सबसे आगे है भारत- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत डिजिटल लेनदेन में दुनिया में सबसे आगे है। भारत करोड़ों नागरिकों को डिजिटल एक्सेस देकर सशक्तीकरण और पारदर्शिता सुनिश्चित कर रहा है। आज भारत 150 मिलियन घरों में पाइप से पानी पहुंचाने का अभियान चला रहा है।
भारत ने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर रखा है खास फोकस
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर फोकस कर करोड़ों भारतीयों के जीवन में बड़ा बदलाव किया है। सिर्फ चाल-पांच साल में 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना आसान नहीं था, लेकिन भारत ने यह भी करके दिखाया। उन्होंने कहा कि सिर्फ चार-पांच साल में 600 मिलियन लोगों को खुले में शौच से मुक्त करना आसान नहीं था, लेकिन भारत ने अपने प्रयासों से यह भी करके दिखा दिया।
आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य से बढ़ रहे हैं आगे- मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महामारी के बाद बनी परिस्थितियों के बाद देश आत्मनिर्भर भारत के विजन को लेकर आगे बढ़ रहा हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचे।
29 सितंबर तक चलेगी UN के 75वें सत्र की आमसभा
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा का 75वां सत्र 15 सितंबर से चल रहा है। महासभा के इस 75वें सत्र की आमसभा 22 सितंबर से शुरू हुई थी और 29 सितंबर तक चलेगी। संयुक्त राष्ट्र ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर महासभा सत्र पूरी तरह से ऑनलाइन आयोजित करने का फैसला किया है। पहली बार विभिन्न देशों के नेता सत्र में शामिल होने न्यूयॉर्क नहीं गए हैं। सभी ने रिकॉर्ड किए गए अपने वीडियो वक्तव्य भेजे हैं।