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जलवायु परिवर्तन से ओजोन परत को नुकसान, पिछले 3 साल में बढ़ा छेद- शोध
जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले 3 साल में ओजोन परत का छिद्र बढ़ा (प्रतीकात्मक तस्वीर: फ्रीपिक)

जलवायु परिवर्तन से ओजोन परत को नुकसान, पिछले 3 साल में बढ़ा छेद- शोध

लेखन गजेंद्र
Nov 22, 2023
04:36 pm

क्या है खबर?

नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल की रिपोर्ट की मानें तो जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी के 'सुरक्षा कवच' ओजोन परत को तेजी से नुकसान हो रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन का छेद काफी बढ़ गया है और यह पिछले 3 साल में सबसे ज्यादा बढ़ा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ओजोन परत में छेद लंबे समय से बना हुआ है और इसके लिए केवल क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) ही जिम्मेदार नहीं हैं।

शोध

क्या कहती हैं शोध की प्रमुख विशेषज्ञ?

शोध की प्रमुख विशेषज्ञ हन्ना केसेनिच ने बताया कि अध्ययन के दौरान रिसर्च टीम ने पाया कि 19 साल पहले की तुलना में छेद के केंद्र में ओजोन बहुत कम है। न्यूजीलैंड के ओटागो विश्वविद्यालय में शोध कर रहीं हन्ना का कहना है कि अध्ययन के दौरान जो तथ्य मिले, उनसे मतलब निकाला जा सकता है कि ओजोन परत में छेद क्षेत्रफल में बढ़ा है। टीम ने 2004-2022 की अवधि में ओजोन परिवर्तन का मासिक और दैनिक विश्लेषण किया।

जलवायु परिवर्तन

किस बात पर चिंता जता रही शोध टीम?

शोध टीम के अनुसार, ओजोन परत में छेद होने के कारण काफी जटिल हैं। इसके पीछे पर्यावरण के साथ खिलवाड़ और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे की अनदेखी करना एक प्रमुख कारण है। हन्ना चिंता जताती हैं कि उनका विश्लेषण 2022 के आंकड़ों पर आधारित है, जबकि 2023 में ओजोन छिद्र 3 साल पहले के छिद्र के आकार से आगे निकल गया है। पिछले महीने छेद का 2.6 करोड़ वर्ग किलोमीटर से अधिक था, जो अंटार्कटिका के क्षेत्रफल से दोगुना है।

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस

क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) कार्बन, हाइड्रोजन, क्लोरीन और फ्लोरीन जैसी ग्रीनहाउस गैसों को कहते हैं, जिनसे हमारी ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है। ओजोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों को रोककर इंसान का अस्तित्व संभव बनाती है और इसके बिना जीवन संभव नहीं है।