दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित एक वर्षीय बच्ची को लॉटरी में मिली 16 करोड़ की दवा
एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर से जूझ रही एक वर्षीय बच्ची ने लॉटरी में 16 करोड़ रुपये की एक ऐसी दवा जीती है जिससे वह ठीक हो सकती है। शनिवार को उसे लॉटरी में यह दवा मिली और दिल्ली के श्री गंगाराम अस्पताल में 45 मिनट के अंदर ही इसे उसे लगा दिया गया। इस बच्ची के अलावा तीन अन्य बच्चों को भी लॉटरी में यह दवा मिली है। एक कंपनी लगभग 100 बच्चों को यह दवा लॉटरी में देती है।
मुंबई की जैनब को है स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी
लॉटरी पाने वाली बच्ची का नाम जैनब है और वह मुंबई की रहने वाली है। हाल ही में उसे स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) नामक एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर से ग्रसित पाया गया था। इस बीमारी का एकमात्र इलाज जोलगेन्स्मा नाम की एक दवा है लेकिन इसकी कीमत लगभग 16 करोड़ रुपये है और किसी भी आम इंसान के लिए इसे खरीद पाना लगभग नामुमकिन है। रिसर्च में लगे फंड के कारण ये दवा इतनी महंगी है।
जोलगेन्स्मा के लिए क्राउड फंडिंग कर रहे थे जैनब के माता-पिता
SMA के कारण ही 2018 में अपने पहले बच्चे को खोने वाले जैनब के पिता अब्दुल्ला को एक अन्य बच्चे के जरिए जोलगेन्स्मा के बारे में पता चला। इस बच्चे को भी SMA था और इस इंजेक्शन के बाद वह बच गया था। जोलगेन्स्मा की जानकारी मिलने के बाद जैनब के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग के जरिए इसके लिए पैसा इकट्ठा करने की कोशिश की। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य शीर्ष अधिकारियों को भी संपर्क किया।
शनिवार को आया लॉटरी में दवा निकलने का फोन
इन प्रयासों के बीच शनिवार को अब्दुल्ला को फोन आया कि उनकी बेटी जैनब ने एक लॉटरी में जोलगेन्स्मा दवा जीती है और तीन अन्य बच्चों को भी यह दवा मुफ्त में मिली है। शनिवार दोपहर को ही दवा मिलने के अंदर श्री गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने जैनब को यह दवा लगा दी। नवभारत टाइम्स के अनुसार, जैनब को यह इंजेक्शन नोवार्टिस नाम की कंपनी से मिला जो लॉटरी के जरिए 100 बच्चों को ये दवा बांट रही है।
मेरठ की ईशानी को भी लॉटरी में मिली थी दवा
बता दें कि कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली 14 महीने की ईशानी को भी SMA से ग्रसित पाया गया था और उसे भी नोवार्टिस के जरिए लॉटरी में जोलगेन्स्मा दवा मिली थी।
क्या है SMA बीमारी?
SMA एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर है और रीढ़ की हड्डी में नर्व सेल्स न होने से ये बीमारी होती है। इस बीमारी में मरीज का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है और दिमाग के नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी को भी नुकसान पहुंचने लगता है। इसके अलावा इस बीमारी में शरीर में किसी भी प्रकार का मूवमेंट बंद हो जाता है। तंत्रिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती हैं और मस्तिष्क से आने वाला संदेश धीमा हो जाता है।