अब QR कोड से होगी असली दवा की पहचान, जनवरी 2023 में लागू होगा नियम
डिजिटल इंडिया में बहुत कुछ आसान होता जा रहा, जिसके तहत अब आप असली और नकली दवा की पहचान कर सकेंगे। सरकार ने नकली दवाओं की पहचान करने के लिए एक ठोस कदम उठाया है। दरअसल, सरकार ने दवाओं पर इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (APIs) पर क्विक रिस्पॉन्स (QR) कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है। इस नए नियम को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही लागू करने वाला है। आइए जानते हैं कि दवा की पहचान कैसे होगी।
क्या होता है QR कोड?
QR कोड अपने नाम की तरह ही काम करता है। ये स्कवॉयर आकार का होता है, जिसे मोबाइल फोन से स्कैन कर उत्पाद की कीमत से लेकर उससे संबंधित जानकारी हासिल की जाती है। QR कोड में तीन बड़े और काफी सारे छोटे स्कवॉयर होते हैं, जिसे हम एक तरह की मशीनी भाषा भी कह सकते हैं। स्कैन के जरिए यह स्कवॉयर को रीड करती हैं और जरूरी जानकारी देती हैं।
एक साल बाद लागू होगा यह नियम
असली और नकली दवाओं की पहचान करने वाला यह नियम अगले साल 1 जनवरी, 2023 से लागू हो जाएगा। सरकार ने सभी कंपनियों को आदेश दे दिया है कि जनवरी से दवाओं के API में QR कोड लगाना अनिवार्य हो जाएगा। इसके लिए आपको मोबाइल से दवा पर दिए गए QR कोड को स्कैन करना होगा, जिसके बाद बैच नंबर, सॉल्ट और दवा की सही कीमत इससे पता चल जाएगी।
दवा बनाने की भी मिलेगी जानकारी
API में QR कोड लगाने से दवा बनाने के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं। जैसे दवा बनाने का फॉर्मूला, फॉर्मूले से छेड़छाड़, कच्चे माल की जानकारी या दवा की डिलीवरी कहां की जा रही है। इस नियम के बाद नकली दवा बनाने वाली कंपनियों पर लगाम लगेगी और लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ नहीं हो पाएगा। आपको बता दें कि ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) ने जून 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
नकली दवाओं के मामले में विश्व में भारत तीसरे नंबर पर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत देश में करीब 25 फीसदी नकली दवा मार्केट में उपलब्ध है। जिसमें तीन फीसदी दवा की गुणवत्ता बहुत ही खराब है। बता दें कि दुनिया में भारत नकली दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है।