कोरोना वायरस महामारी के कारण निरस्त किया गया संसद का शीतकालीन सत्र
इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा और केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे निरस्त करने का फैसला लिया है। संसदीय कार्यों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों से चर्चा के बाद ये फैसला लिया गया है। कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी के एक पत्र का जबाव देते हुए उन्होंने ये ऐलान किया। उन्होंने कहा कि बजट सत्र जनवरी में तय समय पर शुरू होगा।
अधीर रंजन ने की थी कृषि कानूनों में संशोधन के लिए सत्र बुलाने की मांग
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने हाल ही में सरकार को पत्र लिखते हुए किसानों के आंदोलन का केंद्र बने कृषि कानूनों पर चर्चा और उनमें संशोधन करने के लिए जल्द से जल्द सत्र बुलाने की मांग की थी। अधीर रंजन के इस पत्र का जबाव देते हुए जोशी ने कहा है कि उन्होंने सभी पार्टियों के नेताओं से चर्चा की थी जिसमें कोविड-19 के कारण सत्र न बुलाने पर आम सहमति बनी थी।
काफी अहम होने वाले हैं सर्दियों के दिन- जोशी
अपने जबाव में जोशी ने लिखा है, "महामारी पर नियंत्रण के लिहाज से सर्दियों के दिन काफी अहम होने वाले हैं और हालिया समय में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में उछाल देखा गया है, विशेष तौर पर दिल्ली में। अब दिसंबर आधा बीत चुका है और वैक्सीन भी जल्द ही आने वाली है। इसलिए विभिन्न पार्टियों के नेताओं से चर्चा में सुझाव दिया गया था कि शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जाए।"
पहले भी तीन बार रद्द किया जा चुका है संसद का शीतकालीन सत्र
आजाद भारत के इतिहास में ये चौथी बार है जब संसद के शीतकालीन सत्र को निरस्त किया गया है। इससे पहले 1975, 1979 और 1984 में शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया गया था। संविधान के अनुसार, छह महीने में एक बार संसद का सत्र बुलाया जाना अनिवार्य है। मानसून सत्र सितंबर में हुआ था और बजट सत्र जनवरी के आखिरी हफ्ते में शुरू होगा। इस लिहाज से सरकार का ये फैसला संविधान के नियमों के मुताबिक है।
बजट और मानसून सत्र को भी किया गया था छोटा
गौरतलब है कि इससे पहले हुए संसद के दो सत्रों पर भी कोरोना वायरस महामारी का असर पड़ा था और उन्हें छोटा कर दिया गया था। पहले मार्च में बजट सत्र को छोटा करना पड़ा और फिर सितंबर में मानसून सत्र को तय समय से पहले ही समाप्त कर दिया गया। इसका एक मुख्य कारण बड़ी संख्या में सांसदों का कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाना रहा और मानसून सत्र के दौरान 30 से अधिक सांसद संक्रमित पाए गए थे।
कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं कई बड़े नेता
बता दें कि अब तक देश के कई बड़े नेताओं को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जा चुका है। इनमें कम से कम सात केंद्रीय मंत्री और 25 सांसद और विधायक भी शामिल हैं। संक्रमित पाए गए केंद्रीय मंत्रियों में गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं जिन्हें ठीक होने के बाद भी पोस्ट-कोविड इलाज के लिए AIIMS में भर्ती कराया गया था। इसके अलावा कई मुख्यमंत्रियों को भी संक्रमित पाया जा चुका है।
इसलिए खतरनाक है महामारी के बीच सत्र बुलाया जाना
महामारी के बीच संसद का सत्र बुलाया जाना इसलिए भी खतरनाक हो जाता है क्योंकि राज्यसभा और लोकसभा के 785 सांसदों में से लगभग 200 की उम्र 65 साल से अधिक है और वे कोरोना वायरस से सबसे अधिक जोखिम वाले समूह में आते हैं।