NEET पेपर लीक मामले में CBI के आरोपपत्र में शामिल 13 लोगों में किसकी क्या भूमिका?
राष्ट्रीय प्रवेश-सह पात्रता परीक्षा (NEET)-UG 2024 के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को अपना पहला आरोपपत्र दायर किया है। इसमें 13 लोग शामिल हैं, जो बिहार से हैं। आरोपपत्र में पेपर लीक के सरगना और बिचौलियों से लेकर अभ्यर्थी और उनके अभिभावक तक आरोपी बनाए गए है। CBI के मुताबिक, कई संदिग्ध अभी हिरासत में हैं, जिनकी जांच पूरी कर पूरक आरोपपत्र दायर किया जाएगा। आइए जानते हैं पेपर लीक में किस आरोपी की क्या भूमिका रही।
13 लोगों में किसकी क्या रही भूमिका?
CBI ने जिन 13 लोगों को आरोपी बनाया है, उसमें नीतीश कुमार, अमित आनंद, सिकंदर यादवेंदु, आशुतोष कुमार-1, अनुराग यादव, आयुष राज, अखिलेश कुमार, मनीष प्रकाश, आशुतोष कुमार-2, रोशन कुमार, अवधेश कुमार, अभिषेक कुमार और शिवनंदन कुमार शामिल हैं। न्यूज18 के मुताबिक, नीतीश और अमित पेपर सॉल्वर गैंग के सदस्य हैं और मामले के सरगना हैं। गोपालपुर के नीतीश ने अमित और सिकंदर के साथ मिलकर प्रश्न पत्र 30 लाख रुपये प्रति छात्र बेचने की साजिश रची थी।
अभिभावक भी हैं शामिल
यादवेंदु दानापुर टाउन काउंसिल में जूनियर इंजीनियर है। उसने अमित से कहा था कि उसके पास पेपर खरीदने के लिए 4 छात्र तैयार हैं। नीतीश पहले भी बिहार लोक सेवा परीक्षा के पेपर लीक करने के मामले में जेल जा चुका है। आशुतोष कुमार-1 भी अमित का सहयोगी है। अनुराग और आयुष दोनों छात्र हैं और अखिलेश आयुष के पिता हैं। अनुराग, सिकंदर का भतीजा है। इन्होंने पेपर खरीदने के लिए अन्य छात्रों से संपर्क किया था।
अन्य की क्या रही भूमिका?
मनीष छात्रों को सेफ हाउस में लेकर आया था, जबकि आशुतोष कुमार-2 ने सेफ हाउस के लिए लर्न प्ले स्कूल में किराए का मकान दिया था। रोशन, सिकंदर का चालक है, जिसने लोगों को लाने और ले जाने में मदद की थी। CBI ने हजारीबाग स्कूल के प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, कुछ मेडिकल छात्रों को भी गिरफ्तार किया है। CBI का कहना है कि इनके नाम आगे पूरक आरोपपत्र में शामिल हो सकते हैं। जांच अभी भी जारी है।
क्या है NEET पेपर लीक विवाद?
NEET-UG परीक्षा 5 मई को हुई थी। उस दौरान 8 फर्जी परीक्षार्थी पकड़े गए और पटना से जले प्रश्न पत्र बरामद हुए। जब परिणाम जारी हुआ तो उसमें रिकॉर्ड 67 उम्मीदवारों ने ऑल इंडिया रैंकिंग (AIR-1) हासिल की। सभी के 720 में 720 अंक थे। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में 38 याचिकाएं दायर हैं। CBI को 23 जून को बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) से जांच मिली थी। CBI ने अब तक 40 लोग गिरफ्तार किए हैं।
कैसे हुई जांच?
CBI ने सबूत जुटाने के लिए उन्नत फोरेंसिक तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, CCTV फुटेज और टॉवर लोकेशन का इस्तेमाल किया, जिसे कोर्ट के सामने रखा जाएगा। आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 120-बी, 201, 409, 380, 411, 420 और 109 के तहत मामला दर्ज है।