प्रधानमंत्री मोदी का केंद्रीय सचिवों को आदेश, भ्रष्ट और खराब प्रदर्शन वाले अधिकारी-कर्मचारियों को निकालें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय सचिवों को भ्रष्ट और खराब प्रदर्शन करने वाले सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा है। TOI के मुताबिक, केंद्रीय मंत्रियों और सचिवों से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने CCS (पेंशन) नियमों के मूल नियम 56 (J) का हवाला दिया, जिसमें उपयुक्त प्राधिकारी सार्वजनिक हित में सेवा में अयोग्य पाए गए सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त कर सकता है। यह बैठक जम्मू-कश्मीर और हरियाणा चुनाव नतीजों के एक दिन बाद हुई थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि सरकारी कर्मचारियों को अच्छा प्रदर्शन करके लोगों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए और जीवन आसान बनाना चाहिए। उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियों से कहा कि जन शिकायतों का व्यापक और त्वरित समाधान किया जाए, न कि उसे एक मेज से दूसरी मेज पर धकेला जाए। उन्होंने सचिवों से शिकायतों के समाधान के लिए हफ्ते में एक दिन निकालने और राज्य मंत्रियों से उनकी निगरानी को कहा है।
अधिकारियों ने मोदी से कहा कहा?
बैठक में अधिकारियों ने कर्मचारियों की स्क्रीनिंग की मौजूदा प्रक्रिया को संशोधित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, जिसमें सरकारी कर्मचारियों की रैंकिंग पर आधारित नहीं, बल्कि निर्धारित मानदंडों पर आधारित है। अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश कर्मचारियों को अपने वरिष्ठों से आसानी से निर्धारित मानदंडों से ऊंची रेटिंग प्राप्त हो जाती है, जिससे वे आसानी से पदोन्नति के मानदंड को पार कर जाते हैं। इस सुझाव पर भी सरकार जल्द ही कोई कदम उठा सकती है।
क्या कहता है कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का नियम?
रिपोर्ट के मुताबिक, अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले में सरकार कर्मचारियों को अधिकतम 3 महीने का वेतन, नोटिस या भत्ता देना होगा। इस नियम से ज्यादातर 55 वर्ष पार कर चुके अधिकारी-कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं। नियम 48 के मुताबिक, प्राधिकारी 30 साल की सेवा के बाद कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे सकता है। इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। ऐसे मामलों में अधिकारी-कर्मचारियों को भी जवाब देने का अवसर मिलता है।
अब तक 500 से अधिक अधिकारियों पर हो चुकी है कार्रवाई
रिपोर्ट के मुताबिक, इन नियमों के तहत अब तक 500 से अधिक अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। आगे भी इस पर काम चल रहा है। बैठक में बताया गया कि पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को लोगों की शिकायतों समेत 4.5 करोड़ पत्र मिले हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान आखिरी 5 साल में केवल 5 लाख पत्र मिले थे। इनमें 40 प्रतिशत केंद्र और 60 प्रतिशत राज्य से संबंधित थे।