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    स्वतंत्रता दिवस 2019: आख़िर आज़ादी के लिए 15 अगस्त की ही तारीख़ क्यों चुनी गई? जानिए

    स्वतंत्रता दिवस 2019: आख़िर आज़ादी के लिए 15 अगस्त की ही तारीख़ क्यों चुनी गई? जानिए
    लेखन प्रदीप मौर्य
    Aug 15, 2019, 06:10 pm 1 मिनट में पढ़ें
    स्वतंत्रता दिवस 2019: आख़िर आज़ादी के लिए 15 अगस्त की ही तारीख़ क्यों चुनी गई? जानिए

    हर साल 15 अगस्त को पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। आज ही के दिन 73 साल पहले 15 अगस्त, 1947 को भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी मिली थी। आज़ादी के इतने साल बाद भी लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आख़िर भारत की आज़ादी के लिए 15 अगस्त की ही तारीख़ क्यों चुनी गई थी? अगर आप भी इससे अनभिज्ञ हैं, तो आज हम आपको यहाँ उसका कारण बताते हैं।

    बँटवारे के बाद 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को की गई भारत की आज़ादी की घोषणा

    ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल 4 जुलाई, 1947 को पेश किया गया था। इसी बिल के आधार पर भारत और पाकिस्तान के बँटवारे का प्रस्ताव रखा गया था। 18 जुलाई, 1947 को बिल स्वीकारा गया और 14 अगस्त को बँटवारे के बाद 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को भारत की आज़ादी की घोषणा की गई थी। जश्न में महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे, क्योंकि वो उस समय बंगाल में हिंसा रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।

    राजगोपालाचारी के सुझाव पर माउंटबेटन ने आज़ादी के लिए चुनी 15 अगस्त की तारीख़

    अब आख़िर 15 अगस्त को ही क्यों भारत की आज़ादी के लिए चुना गया, इसको लेकर अलग-अलग इतिहासकारों की अलग-अलग मान्यताएँ हैं। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, सी राजगोपालाचारी के सुझाव पर लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आज़ादी के लिए 15 अगस्त की तारीख़ चुनी थी। राजगोपालाचारी ने उस समय माउंटबेटन से कहा था कि अगर 30 जून, 1948 तक का इंतज़ार किया गया, तो हस्तांतरित करने के लिए कोई सत्ता नहीं बचेगी।

    राजगोपालाचारी 15 अगस्त को मानते थे शुभ

    राजगोपालाचारी की बात सुनने के बाद माउंटबेटन ने भारत को स्वतंत्र करने के लिए 15 अगस्त को चुना। वहीं, कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि राजगोपालाचारी 15 अगस्त की तारीख़ को शुभ मानते थे, इसलिए उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए 15 अगस्त को चुना। इसके अलावा 15 अगस्त का दिन माउंटबेटन के हिसाब से भी शुभ था, क्योंकि 15 अगस्त, 1945 को जापानी आर्मी ने द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण किया था।

    द्वितीय विश्व युद्ध में अलाइड फ़ोर्सेस के कमांडर थे माउंटबेटन

    बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश आर्मी के माउंटबेटन अलाइड फ़ोर्सेस के कमांडर थे। यही वजह थी कि 15 अगस्त को भारत की आज़ादी के लिए चुना गया था। इसके अलावा आज़ादी से जुड़ी कुछ अन्य बातें भी जानिए।

    आज़ादी की तारीख़ से नाख़ुश थे भारतीय ज्योतिषी

    आपको जानकार हैरानी होगी कि जब भारत की आज़ादी के लिए 15 अगस्त, 1947 को चुना गया, तो भारत के ज्योतिषियों में हड़कंप मच गया और वो इस तारीख़ का विरोध करने लगे। दरअसल, ज्योतिषियों का मानना था कि 15 अगस्त को शुक्रवार था और अगर इस दिन भारत आज़ाद हुआ, तो कोहराम मच जाएगा, नरसंहार होंगे और हज़ारों लोग मारे जाएँगे। कलकत्ता के संत ने तारीख़ बदलने के लिए चिट्ठी भी लिखी, लेकिन माउंटबेटन नहीं माने।

    आज़ादी के बाद 16 अगस्त, 1947 को लाल क़िले पर फहराया गया था तिरंगा

    जब भारत आज़ाद हुआ था, तो 15 अगस्त, 1947 को जवाहरलाल नेहरु ने ऐतिहासिक भाषण दिया था। उनके भाषण को 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में हर साल 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री लाल क़िले पर तिरंगा फहराते हैं, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोकसभा के एक शोधपत्र के अनुसार, उस समय नेहरु ने 16 अगस्त, 1947 को लाल क़िले पर झंडा फहराया था।

    भारत-पाकिस्तान के बीच 17 अगस्त, 1947 को हुआ था सीमा का निर्धारण

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बँटवारे के बाद भी 15 अगस्त तक दोनों देशों के बीच सीमा का निर्धारण नहीं हुआ था। इसका फ़ैसला 17 अगस्त, 1947 को रेडक्लिफ लाइन से हुआ था।

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