कर्नाटक: कोरोना के बाद बच्चों का दिमाग प्रभावित करने वाली बीमारी का पहला मामला आया सामने
कर्नाटक के देवांगरी जिले में एक 13 वर्षीय बच्चे में एक्युट नेक्रोटाइजिंग इनसेफलोपैथी ऑफ चाइल्डहूड (ANEC) के लक्षण देखे गए हैं। यह कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद बच्चों को होने वाली दुर्लभ बीमारी है, जो दिमाग पर असर डालती है। एसएस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर के मेडिकल निदेशक एनके कलप्पनवर ने बताया कि यह इस बीमारी का कर्नाटक में पहला और देश में दूसरा मामला है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रहा मरीज
कलप्पनवर ने बताया कि उनके अस्पताल में ANEC से पीड़ित एक 13 वर्षीय बच्चे का इलाज चल रहा है। यह बीमारी मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेट्री सिंड्रोम (MIS-C) जैसी होती है, जो दिमाग को प्रभावित करता है। ANEC बच्चों को होने वाली बेहद दुर्लभ बीमारी है। उन्होंने बताया कि बच्चे को आठ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मेडिकल जांच से पता चला कि बच्चे उसका दिमाग निष्क्रिय था। तीन दिनों तक उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था।
ANEC का महंगा है इलाज
उन्होंने कहा कि बच्चे का एक हफ्ते और इलाज चलेगा। उसके बाद देखा जाएगा कि उसके दिमाग को कितना नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि इसका इलाज बहुत महंगा है और हर इंजेक्शन की कीमत 75,000 रुपये से एक लाख के बीच होती है।
क्या होती है ANEC?
अमेरिकन जर्नल ऑफ न्यूरोरेडियोलॉजी के अनुसार, ANEC मुख्य तौर पर नवजात और बच्चों को प्रभावित करती है। एक और जर्नल में लिखा गया है कि यह मुख्य तौर पर ब्रेनस्टेम में पाई जाती है और किसी वायरल इंफेक्शन के बाद यह बीमारी होती है। द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके ज्यादातर मामले दक्षिण-पूर्व एशिया में सामने आए हैं और इससे ठीक होने वाले मरीजों की दर भी कम बताई जाती है।
महामारी के बाद बच्चों को करना पड़ रहा कई गंभीर रोगों का सामना
कोरोना की दूसरी लहर के बाद बच्चों में दुर्लभ बीमारियों के मामले बढ़े हैं। ANEC से पहले MIS-C ने देशभर में कई बच्चों को अपना निशाना बनाया था। यह बच्चों में होने वाला गंभीर रोग है। इस रोग के होने की स्पष्ट वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है और फिलहाल इसे कोरोना संक्रमण से ही जोड़कर देखा जा रहा है। इससे प्रभावित हुए अधिकतर बच्चों की उम्र 4-16 साल के बीच है।
MIS-C के लक्षण क्या हैं?
अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, यह एक दुर्लभ, लेकिन खतरनाक बीमारी है। इससे बच्चों के हृदय, आंतों, आंखों, गुर्दे और फेफड़ों पर असर पड़ता है। इससे ग्रसित बच्चों में गर्दन के पास दर्द, शरीर पर दाने, आंखों में सूखापन, थकान बने रहना और बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं। हर बच्चे में अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं। कुछ बच्चों को उल्टी, दस्त और पेट दर्द जैसी शिकायतें भी होती हैं।
इन जटिलताओं से भी जूझ रहे बच्चे
डॉक्टरों के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर के बाद बच्चों में MIS-C के अलावा दूसरी जटिलताएं भी देखी जा रही हैं। इनमें से कावासाकी एक है। इसके अलावा कई बच्चों को पेट और आंत से जुड़ी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।