अपोलो अस्पताल पर अवैध अंग व्यापार का आरोप, केंद्र सरकार ने दिया जांच का आदेश
केंद्र सरकार ने अपोलो अस्पताल पर लगे अवैध अंग व्यापार के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल पर लगे मलेशिया के गरीबी लोगों से किडनी खरीदने के आरोपों की जांच का आदेश दिया है। NOTTO ने जांच का जिम्मा राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) को सौंपा है। मामले में अस्पताल आरोपों को खारिज कर चुका है।
अपोलो अस्पताल पर क्या आरोप लगे हैं?
ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि अपोलो अस्पताल म्यांमार के गरीब लोगों से किडनी खरीदकर उसे अमीर मरीजों में लगा रहा है। दानकर्ताओं को दिल्ली बुलाकर इस पूरी वारदात को अंजाम दिया जाता है और ये एक बड़ा व्यवसाय बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि कोई परिजन ही किडनी दान कर सकता है, इसलिए म्यांमार के लोगों को जाली दस्तावेजों के जरिए मरीज का परिजन दिखाया जाता है।
अपोलो अस्पताल का आरोपों पर क्या कहना है?
अपोलो अस्पताल समूह ने मीडिया रिपोर्ट को खारिज करते हुए अवैध अंग व्यापार के आरोपों का खंडन किया है। इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMCL) के प्रवक्ता ने कहा, "अस्पताल प्रत्यारोपण प्रक्रिया को लेकर बने सारे कानूनी प्रावधानों का पालन करता है और भारत सरकार की ओर से जो भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं, उनका ध्यान रखा जाता है।" उन्होंने कहा, "अस्पताल समूह पर खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और भ्रामक हैं। इनमें कोई सत्यता नहीं है।"