अपोलो अस्पताल पर लगा अवैध अंग व्यापार का संगीन आरोप, समूह ने किया इनकार; जानें मामला
अपोलो अस्पताल समूह पर अवैध अंग व्यापार का गंभीर आरोप लगा है। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अपोलो अस्पताल द्वारा म्यांमार के गरीब लोगों को पैसों के बदले किडनी बेचने का लालच दिया जा रहा है। इन लोगों को दिल्ली बुलाकर उनकी किडनी निकाली जाती है और इन किडनियों को अमीर मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। अपोलो अस्पताल ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। आइए पूरा मामला जानते हैं।
अस्पताल पर आरोप लगे हैं?
ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ के अनुसार, भारत अंगों की खरीद-फरोख्त करना गैरकानूनी है, लेकिन इसके बावजूद ये एक बड़ा व्यवसाय बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि कोई परिजन ही मरीज को अंगदान कर सकता है, इसलिए अंग प्रत्यारोपण को कानूनी दिखाने के लिए बिचौलियों की मदद से जाली दस्तावेज और झूठी तस्वीरें बनाकर म्यांमार के लोगों को मरीज का परिजन दिखाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में पैसों का बड़ा लेन-देन होता है।
रिपोर्ट में किडनी बेचने वाले शख्स का जिक्र
रिपोर्ट में अपना अंग बचने वाले म्यांम्यार के एक व्यक्ति का भी जिक्र किया गया है। इस शख्स ने बताया कि सितंबर, 2022 में उसने अपनी एक किडनी बेची थी और इसके बदले उसे 80 लाख क्यात (म्यांमार मुद्रा) यानि लगभग 3.17 लाख रुपये मिले थे। उसने कहा कि ये प्रत्यारोपण दिल्ली में अपोलो समूह से जुड़े एक अस्पताल में हुआ था और जिस मरीज को उसकी किडनी लगाई जाने वाली थी, उसे वह नहीं जानता था।
एजेटों का दावा- डॉ गुलेरिया ने किया अंग प्रत्यारोपण
रिपोर्ट के अनुसार, कई मरीजों और एजेंटों ने दावा किया है कि इन मामलों में डॉ संदीप गुलेरिया द्वारा अंग प्रत्यारोपण किया गया था। डॉ गुलेरिया ने इन सभी आरोपों को अपमानजक और हास्यास्पद बताते हुए सिरे से नकार दिया है। डॉ गुलेरिया पर 2016 में भी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में एक अन्य किडनी प्रत्यारोपण रैकेट से जुड़े होने के आरोप लगे थे। उस वक्त भी उन्होंने आरोपों को झूठा बताकर खारिज कर दिया था।
अपोलो अस्पताल ने क्या कहा?
अपोलो अस्पताल समूह ने मीडिया की रिपोर्ट को खारिज करते हुए अवैध अंग व्यापार के आरोपों का खंडन किया है। इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMCL) के प्रवक्ता ने कहा, "अस्पताल प्रत्यारोपण प्रक्रिया को लेकर बने सारे कानूनी प्रावधानों का पालन करता है और भारत सरकार की ओर से जो भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं, उनका ध्यान रखा जाता है।" उन्होंने कहा, "अस्पताल समूह पर खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और भ्रामक हैं। इनमें कोई सत्यता नहीं है।"
भारत में क्या है अंग प्रत्यारोपण को लेकर कानून?
भारत के मानव अंग प्रत्यारोपण कानून के अनुसार, पति-पत्नी, भाई-बहन, माता-पिता और पोते-पोतियों जैसे करीबी रिश्तेदारों को ही अंग दान करने की अनुमति है और अजनबियों को अंगदान करने की अनुमति तब दी जाती है, जब तक कि यह मानवीय उद्देश्य के लिए न हो।
न्यूजबाइट्स प्लस
ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन (GODT) के अनुसार, दुनिया में अंग प्रत्यारोपण के मामले में वर्तमान में अमेरिका पहले, चीन दूसरे और भारत तीसरे पायदान पर है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बीते सालों में भारत में अंग प्रत्यारोपण में मामलों में 4 गुना इजाफा हुआ है और देश में अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या साल 2013 में 4,990 से बढ़कर 2019 में 12,746 तक पहुंच गई थी।