
नागालैंड: गुवाहाटी हाई कोर्ट ने रद्द किया कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध का सरकार का आदेश
क्या है खबर?
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कुत्तों के मांस के वाणिज्यिक आयात और व्यापार और रेस्टोरेंट में उसकी व्यावसायिक बिक्री पर प्रतिबंध लगाने वाले नागालैंड सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है।
हाई कोर्ट की कोहिमा बेंच की न्यायमूर्ति मार्ली वैंकुन की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि 4 जुलाई, 2020 को प्रतिबंध का आदेश जारी करने के लिए नागालैंड के मुख्य सचिव उपयुक्त अधिकारी नहीं थे।
कोर्ट
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अगस्त, 2014 के परिपत्र को जारी करके अपनी शक्तियों से परे काम किया है।
कोर्ट ने कहा कि खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य विनियम, 2011 के तहत बाजार में जानवरों के मांस की ब्रिकी के संबंध में 'जानवरों' को परिभाषित किया गया है और इसमें कहीं भी कुत्ते या उसके मांस का उल्लेख नहीं किया गया है।
कोर्ट
कोर्ट ने और क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कुत्तों का मांस केवल पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में ही खाया जाता है, जिसे लेकर यह आदेश जारी किया गया।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कुत्तों को आयात करके और कुत्ते का मांस बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं।
हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कुत्ते के मांस को मानव उपभोग के लिए भोजन का मानक नहीं माना जा सकता है।
याचिका
व्यापारियों ने सरकार के आदेश को दी थी चुनौती
कोर्ट में व्यापारियों ने उन्हें जारी लाइसेंस के तहत कोहिमा नगर के अधिकार क्षेत्र में कुत्ते के मांस के आयात और बिक्री पर प्रतिबंध से संबंधित आदेश पर विचार करने को कहा था।
इस याचिका में कहा गया था कि नागालैंड सरकार द्वारा 4 जुलाई, 2020 को जारी अधिसूचना से उनके व्यवसाय और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
इससे पहले मामले में राज्य सरकार कोर्ट में कोई हलफनामा दायर करने में विफल रही थी।
कोर्ट
कार्ट ने नवबंर, 2020 में आदेश पर लगाई थी अस्थायी रोक
बता दें कि इससे पहले हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 25 नवबंर, 2020 को सरकार के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ताओं के वकील की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि नागालैंड के मुख्य सचिव वैधानिक रूप से इस आदेश के लिए सशक्त नहीं थे।
उन्होंने कहा था कि खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम, 2006 की धारा 30 के तहत खाद्य सुरक्षा आयुक्त के पास ही ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार है।
क्यों
सरकार ने क्यों लगाया था प्रतिबंध?
नागालैंड सरकार को द फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशंस (FIAPO) ने कुत्तों के मांस के व्यापार को बंद करने के संबंध में एक याचिका दी थी। इसके बाद 2 जुलाई, 2020 को कैबिनेट में प्रतिबंध लगाने से संबंधित प्रस्ताव पारित हुआ था।
सरकार ने कहा था कि दूसरे राज्यों से कुत्तों को लाने के खतरों को देखते हुए और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है।