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    रणनीतिक तेल भंडार को लीज पर निजी कंपनियों को देगी मोदी सरकार
    सरकार रणनीतिक तेल भंडारों को लीज पर देगी (प्रतीकात्मक फोटो)

    रणनीतिक तेल भंडार को लीज पर निजी कंपनियों को देगी मोदी सरकार

    लेखन आबिद खान
    Feb 07, 2024
    07:56 pm

    क्या है खबर?

    केंद्र की मोदी सरकार देश के रणनीतिक तेल भंडारों का कुछ हिस्सा निजी कंपनियों को लीज पर देगी।

    हाल ही में पेश किए गए अतंरिम बजट में इन भंडारों को भरने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की एक योजना को बंद करने की घोषणा की गई थी।

    इसके बाद अब केंद्र सरकार इन भंडारों का कुछ हिस्सा निजी कंपनियों को लीज पर देगी।

    बताया जा रहा है कि कई विदेशी कंपनियों ने इसमें रूचि दिखाई है।

    आवेदन

    कंपनियों से जल्द मंगवाए जाएंगे आवेदन

    इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (ISPRL) के निदेशक एल आर जैन ने कहा, "भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार इकाई ISPRL जल्द ही उपलब्ध भंडारण स्थान का व्यावसायिक उपयोग करने में रुचि रखने वाली ऊर्जा कंपनियों से रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।"

    बता दें कि वित्त वर्ष 2023-24 में इन भंडारणों को भरने के लिए 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसे अंतरिम बजट में शून्य कर दिया गया है।

    उपयोग

    आपातकालीन स्थिति में भारत कर सकेगा उपयोग

    सरकार भले ही इन जगहों को लीज पर दे रही हो, लेकिन आपातकालीन स्थिति में यहां रखे गए कच्चे तेल पर सबसे पहला अधिकार भारत का ही होगा। आपात स्थितियों में युद्ध या आपूर्ति में व्यवधान शामिल है।

    2021 में भारत ने इन भंडारों से करीब 80 करोड़ लीटर तेल निकाला था।

    बता दें कि भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत से अधिक कच्चा तेल आयात करता है।

    जगह

    3 जगहों पर हैं रणनीतिक तेल भंडार

    पेट्रोलियम मंत्रालय ने देश में आपातकालीन उपयोग के लिए 3 जगहों पर रणनीतिक भंडार बना रखे हैं। ये आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम और कर्नाटक के मैंगलोर और पाढुर में हैं, जिनका संचालन ISPRL करती है।

    इनमें 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) तेल रखा जा सकता है। पाढुर में अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने 1.25 MMT और मैंगलोर में 0.75 MMT भंडारण क्षमता पहले से ही लीज पर ले रखी है।

    भंडार

    क्या होते हैं रणनीतिक तेल भंडार?

    दरअसल, युद्ध या किसी आपदा की स्थिति में कच्चे तेल की आपूर्ति में व्यवधान से निपटने के लिए रणनीतिक तेल भंडार बनाए जाते हैं। ये आमतौर पर जमीन के नीचे होते हैं, जहां चट्टानों के बीच कच्चे तेल को रखा जाता है।

    सबसे पहले इसकी अवधारणा 1973 के तेल संकट के बाद सामने आई थी।

    फिलहाल भारत के पास कम से कम 9 दिनों तक की आपूर्ति करने लायक कच्चा तेल इन भंडारों में है।

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