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हाथरस से नासिक के कुंभ मेले तक, भगदड़ में कब-कब गई सैकड़ों लोगों की जान?
धार्मिक आयोजनों के दौरान पहले भी कई बार भगदड़ हुई है

हाथरस से नासिक के कुंभ मेले तक, भगदड़ में कब-कब गई सैकड़ों लोगों की जान?

लेखन आबिद खान
Jul 03, 2024
04:39 pm

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई है। यह घटना फुलराई गांव के पास नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बाबा के पैर छूने के दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई, जिसके चलते घटना हुई। ये पहली बार नहीं है, जब धार्मिक कार्यक्रम में भगदड़ हुई है। आइए जानते हैं कब-कब इस तरह के हादसे हुए हैं।

#1

2013: प्रयाग कुंभ मेले में भगदड़ से 40 की मौत

10 फरवरी, 2013 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ मच गई थी। इसमें 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और करीब 45 घायल हुए थे। दरअसल, 10 फरवरी को मौनी अमावस्या के चलते मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटे थे। इन लोगों के वापस लौटने के दौरान रेलवे स्टेशन पर काफी भीड़ हो गई थी, जिससे एक पैदल पुल पर भगदड़ मची और 40 लोगों की जान चली गई।

#2

1954: प्रयाग कुंभ में ही मारे गए थे 800 से ज्यादा लोग

आजाद भारत में पहली बार 1954 में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। यह प्रयागराज में हुआ था। इस मेले में 3 फरवरी 1954 के दिन मौनी अमावस्या के मौके पर अचानक भगदड़ मच गई थी, जिसमें 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 350 लोगों की कुचले जाने से मौत हो गई थी, जबकि 200 लोग लापता हो गए थे और 2,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

#3

2005: मंधारदेवी में हुई थी 340 लोगों की मौत

25 जनवरी, 2005 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नजदीक मंधारदेवी मंदिर में भगदड़ मच गई थी, जिसमें 340 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। यह हादसा उस समय हुआ जब श्रद्धालु नारियल तोड़ने के लिए सीढ़ियों पर चढ़ रहे थे। नारियल के पानी की वजह से सीढ़ियों पर फिसलन हो गई थी, जिसके चलते कुछ लोग गिर गए और भगदड़ मच गई। शाकंभरी पूर्णिमा के चलते मंदिर में लाखों लोग आए हुए थे।

#4

2008: जोधपुर के चामुंडा देवी मंदिर में अफवाह से भगदड़

30 सितंबर, 2008 को राजस्थान के जोधपुर के प्रसिद्ध चामुंडा देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान भगदड़ से 250 लोग मारे गए थे और 60 से ज्यादा घायल हुए थे। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि ये हादसा मंदिर में बम होने की अफवाह के चलते हुए थे, जिससे लोगों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ लोग दावा करते हैं कि मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने के दौरान श्रद्धालुओं के फिसलने से हादसा हुआ था।

#5

2008: नैना देवी मंदिर में भगदड़

सावन के महीने में हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। 2008 में भी करीब 3,000 लोग मंदिर में देवी दर्शन के लिए एकत्रित हुए थे। इसी दौरान 3 अगस्त को बारिश की वजह से मंदिर में एक इमारत धंस गई। लोग इसे भूस्खलन समझकर भागने लगे और भगदड़ मच गई। इस अफरातफरी में 146 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

#6

2011: केरल के पुलमेदु में मारे गए थे 100 से ज्यादा लोग

14 जनवरी, 2011 को केरल के इदुक्की जिले में पुलमेदु के पास एक जीप ने सबरीमाला से वापस आ रहे श्रद्धालुओं को टक्कर मार दी थी। इससे श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई और 104 लोग मारे गए और 40 से ज्यादा घायल हुए। 2013 में मध्य प्रदेश के दतिया में रतनगढ़ माता मंदिर में भी भगदड़ मच गई थी। नवरात्रि के दौरान मंदिर तक जाने वाले पुल पर अफरा-तफरी में 115 लोगों की मौत हो गई थी।