भारत के पूर्व रक्षा और वित्त मंत्री जसवंत सिंह का निधन, प्रधानमंत्री ने जताया शोक
पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन हो गया है। वे 82 वर्ष के थे और पिछले छह साल से कोमा में थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। जसवंत सिंह के निधन पर शोक जताते हुए उन्होंने लिखा कि जसवंत सिंह को राजनीति और समाज पर उनके अद्वितीय दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री बोले- जसवंत सिंह ने पूरी लगन से की देशसेवा
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'जसवंत सिंह जी ने पहले एक सैनिक के रूप में और फिर राजनीति के साथ अपने लंबे जुड़ाव के दौरान पूरी लगने से देश सेवा की। अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा और बाहरी मामलों की दुनिया में एक मजबूत छाप छोड़ी। उनके निधन से दुखी हूं। जसवंत सिंह जी को राजनीति और समाज के मामलों पर उनके अनूठे दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा।'
भाजपा को मजबूत बनाने में भी जसवंत ने दिया योगदान- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, 'उन्होंने (जसवंत सिंह) भाजपा को मजबूत बनाने में भी योगदान दिया। मैं हमेशा उनके साथ हमारी बातचीत को याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- शानदार रहा जसवंत सिंह का देशसेवा का रिकॉर्ड
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जसवंत सिंह के निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा, 'वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जसवंत सिंह के निधन से बेहद दुखी हूं। उन्होंने रक्षा मंत्री समेत कई अहम पदों पर देश की सेवा की। बतौर मंत्री और सांसद उन्होंने खुद की अलग पहचान बनाई। जसवंत सिंह जी को उनकी बौद्धिक क्षमताओं और देशसेवा के शानदार रिकॉर्ड के लिए याद किया जाएगा... इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं।'
सेना में सेवा देने के बाद राजनीति में आए थे जसवंत
1938 में राजस्थान के बाड़मेर में जन्मे जसवंत सिंह अजमेर के मेयो कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद कम उम्र में ही सेना में शामिल हो गए थे। 1966 में वह पहली बार राजनीति के मैदान में उतरे और राजस्थान के दिग्गज नेता भैरो सिंह शेखावत की छत्रछाया में आगे बढ़ते हुए 1980 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने। वह भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में उन्होंने पार्टी का नेतृत्व किया।
वाजपेयी के हनुमान कहे जाते थे जसवंत
1996 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी NDA सरकारों में जसवंत ने रक्षा, विदेश और वित्त जैसे बेहद अहम मंत्रालय संभाले। संकटमोचक की भूमिका निभाने के कारण उन्हें वाजपेयी का हनुमान कहा जाता था। 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद दुनिया को साधने का जिम्मा वाजपेयी ने उन्हें ही दिया था और ये काम उन्होंने बखूबी किया। वहीं कंधार विमान अपहरण के समय वह विदेश मंत्री थे और आतंकियों को कंधार छोड़ने वही गए थे।
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच शांति के बड़े समर्थक थे जसवंत
जसवंत भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच शांति के बड़े समर्थक थे और इसके लिए तमाम प्रत्यत्न भी किए। उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना पर एक विवादित किताब भी लिखी थी जिसके बाद 2009 में उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था। 2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी से बाड़मेर-जैसलमेर से टिकट मांगा, लेकिन जब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो बागी होकर लड़े और हार गए। इसके कुछ दिन बाद बाथरूम में गिरकर वह कोमा में चले गए।