चीनी मामलों के विशेषज्ञ विक्रम मिश्री बनाए गए देश के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
विक्रम मिश्री को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है। उन्हें चीनी मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है और वे चीन में भारत के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं भी दे चुके हैं। मिश्री के नाम एक दुर्लभ उपलब्धि भी दर्ज है और वह तीन प्रधानमंत्रियों के निजी सचिव के तौर पर काम कर चुके हैं। इनमें आईके गुजराल (1997-1998), मनमोहन सिंह (2012-2014) और नरेंद्र मोदी (मई से जुलाई 2014) शामिल हैं।
1989 बैच के IFS अधिकारी हैं श्रीनगर में जन्मे विक्रम मिश्री
श्रीनगर में जन्मे विक्रम मिश्री ने सिंधिया स्कूल से अपनी शुरूआती शिक्षा प्राप्त की है और दिल्ली के प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की है। उनके पास MBA की डिग्री भी है और सरकारी सेवाओं में आने से पहले उन्होंने तीन साल तक विज्ञापन और विज्ञापन फिल्म निर्माण में तीन साल तक काम किया है। उन्होंने 1989 के भारतीय विदेश सेवा (IFS) बैच से राजनियक के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की।
कई उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं मिश्रा
अपने तीन दशक से अधिक के करियर में मिश्री विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तर अमेरिका के कई भारतीय दूतावासों तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। हालिया समय की बात करें तो वे 2014 से 2016 तक स्पेन में भारत के राजदूत थे। इसके बाद 2016 से 2018 तक वे म्यांमार में भारत के राजदूत रहे। 2019 में उन्हें चीन में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया और अभी तक इसी पद पर थे।
चीन के खिलाफ रणनीति बनाने में अहम रहेगी मिश्री की भूमिका
उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर विक्रम मिश्री सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को रिपोर्ट करेंगे। चूंकि वह चीनी मामलों के विशेषज्ञ हैं, इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि वह अन्य उप सुरक्षा सलाहकारों (राजिंदर खन्ना और दत्तात्रेय पडसलगीकर) के साथ मिलकर लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवाद को लेकर चीन को क्या जवाब देना है, इससे संबंधित भारत की रणनीति तय करने में अहम भूमिका अदा करेंगे।
गलवान हिंसा के बाद वार्ता में मिश्री ने निभाई थी अहम भूमिका
मिश्री LAC पर दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद से करीबी तौर से जुड़े हुए भी हैं और जून, 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद उन्होंने चीनी सरकार से संपर्क साधने में अहम भूमिका निभाई थी। वे इसके बाद भारत और चीन के बीच हुई कई वार्ताओं का हिस्सा भी रहे हैं। चीन में भारत के राजदूत के तौर पर उनकी जिम्मेदारी अब रूस में राजदूत रहे पंकज सरन संभालेंगे।