तमिलनाडु में ED के अधिकारी को क्यों गिरफ्तार किया गया?
तमिलनाडु में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है। शुक्रवार को सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने ED अधिकारी अंकित तिवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। मामले में DVAC के अधिकारियों ने रातभर मदुरई में ED के उप-जोनल कार्यालय में तलाशी ली और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। आइए जानते हैं कि रिश्वतखोरी का ये पूरा मामला क्या है।
कौन हैं ED अधिकारी तिवारी और क्या हैं आरोप?
अंकित तिवारी 2016 बैच के अधिकारी हैं। वह पहले गुजरात और मध्य प्रदेश में सेवा दे चुके हैं। अभी तिवारी मदुरई स्थित ED कार्यालय में अधिकारी हैं। तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने 29 अक्टूबर को डिंडीगुल के एक सरकारी डॉक्टर से संपर्क कर उसे उसके खिलाफ दर्ज एक ऐसे मामले में धमकाया, जो बंद हो चुका है। तिवारी ने डॉक्टर से कहा कि मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय (ED) ने जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया है।
तिवारी ने डॉक्टर से मांगी थी 3 करोड़ रुपये की रिश्वत
DAVC के अनुसार, तिवारी ने डॉक्टर को 30 अक्टूबर को मदुरई कार्यालय में पेश होने को कहा। इस दौरान उसने मामले में जांच बंद करने के एवज में कथित तौर पर डॉक्टर से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी। डॉक्टर ने जब इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई तो तिवारी ने कहा कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात की है और वह मामले की जांच को 51 लाख रुपये में बंद करने को तैयार हैं।
डॉक्टर ने 1 नवंबर को दिए 20 लाख, बाकी के लिए तिवारी ने धमकाया
DVAC अधिकारियों ने अनुसार, 1 नवंबर को डॉक्टर ने कथित तौर पर तिवारी को 20 लाख रुपये की पहली किस्त दी। इसके बाद तिवारी ने उसे फोन पर कई बार धमकाया कि उसे 51 लाख रुपये की पूरी राशि का भुगतान करना होगा। तिवारी ने कहा कि ये रकम वरिष्ठ अधिकारियों में बांटी जानी है और रिश्वत के पैसे समय पर न देने पर उसके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है। उसे जल्द दूसरी किस्त देगी होगी।
डॉक्टर की शिकायत के बाद रंगे हाथों पकड़ा गया तिवारी
तिवारी की धमकी के बाद 30 नवंबर को पीड़ित डॉक्टर ने डिंडीगुल DAVC इकाई में तिवारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत शुक्रवार सुबह 10:30 बजे तिवारी को डिंडीगुल में डॉक्टर से 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। तिवारी को गिरफ्तार करने के बाद DVAC की एक टीम ने मदुरई स्थित ED कार्यालय पर छापा मारा और मामले के संबंध में कई दस्तावेज जब्त किए।
अब तक मामले में क्या हुआ?
DVAC ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि ED अधिकारी तिवारी को डिंडीगुल में हिरासत में लिए जाने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। कोर्ट ने आरोपी को 15 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अधिकारियों ने कहा, "यह स्पष्ट करने के लिए जांच की जा रही है कि क्या तिवारी ने इससे पहले किसी अन्य कर्मचारी को ब्लैकमेल किया या धमकी दी थी और प्रवर्तन निदेशालय के नाम पर पैसे ऐंठे थे।"
अन्य अधिकारियों की मिलीभगत का संदेह
मामले में DVAC को मदुरई और चेन्नई में तैनात ED के कई अधिकारियों की मिलीभगत होने का संदेह है। इस संंबंध में ED के अन्य अधिकारियों की संभावित संलिप्तता की जांच के लिए भी पूछताछ की जाएगी। DVAC की टीमें तिवारी के आवास और ED कार्यालय की तलाशी ले रही हैं। शुरुआती जांच में तिवारी के ED अधिकारी के तौर पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने की पुष्टि हुई है।