हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की आयु में चेन्नई में निधन
महान वैज्ञानिक और देश में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में निधन हो गया। उन्होंने सुबह 11ः20 बजे अंतिम सांस ली। वह 98 साल के थे। लंबी उम्र के कारण उनको काफी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां थीं। कृषि विभाग में वैज्ञानिक रहे स्वामीनाथन ने 1972 से 1979 तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया था।
भारत को अकाल से बचाने के लिए किया था काम
प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को देश में गेहूं और चावल की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने भारत को अकाल और भुखमरी के संकट से बचाने के लिए अमेरिका के वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के साथ 1960 के दशक में काम किया था। इससे भारत को खाद्यान सुरक्षा मिली थी। इसे ही हरित क्रांति कहा जाता है। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन कृषि मंत्री सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ काम किया था।
कुंभकोणम में हुआ था जन्म
स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। वह स्वतंत्रता आंदोलन में अपने पिता की गई भागीदारी और महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे। उन्होंने 2 स्नातक डिग्री हासिल की थीं, जिनमें एक कृषि महाविद्यालय कोयंबटूर (जो अब तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) की थी। उनको भारत सरकार ने पद्मभूषण से नवाजा था। उनकी 3 बेटियां, सौम्या, मधुरा और नित्या राव, हैं। उनकी पत्नी मीना स्वामीनाथ की मृत्यु पहले ही हो चुकी है।