
दिल्ली के जंगपुरा में चला बुलडोजर, मद्रासी कैंप में तोड़ी गईं 300 झुग्गियां; क्या है वजह?
क्या है खबर?
दिल्ली में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जंगपुरा इलाके के मद्रासी कैंप में नगर निगम और प्रशासन ने 300 से ज्यादा झुग्गियों पर बुलडोजर चलाया है।
आज सुबह से स्पेशल टास्क फोर्स की टीम कार्रवाई में जुटी हुई है। इस दौरान लोगों को विरोध को देखते हुए दिल्ली पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) भी तैनात की गई है।
आइए जानते हैं मामला क्या है।
मद्रासी कैंप
जानिए क्या है मद्रासी कैंप
माना जाता है कि मद्रासी कैंप की स्थापना 1968 और 1970 के बीच हुई थी। यहां 300 से ज्यादा झुग्गियों में बीते करीब 60 सालों से लोग रहे हैं।
इसे 16 किलोमीटर लंबे बारापुला नाले से जुड़ी एक जीर्णोद्धार परियोजना के लिए साफ किया जा रहा है, जो एक मुगलकालीन संरचना है। इसे लगभग 400 साल पुराना माना जाता है।
इसके अलावा यमुना नदी की सफाई और नाले में जलभराव के चलते इसे हटाया जाना है।
आदेश
हाई कोर्ट के आदेश के बाद हो रही है कार्रवाई
9 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने मद्रासी कैंप को हटाने का आदेश दिया था। इसके लिए 1 जून, 2025 से काम शुरू करने का आदेश था।
कोर्ट ने कहा कि बारापूला नाले के अतिक्रमण को दूर करने के लिए मद्रासी कैंप के निवासियों का पुनर्वास जरूरी है।
कोर्ट ने साफ किया कि यहां रहने वाले लोग पुनर्वास के अलावा और किसी अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ये सरकारी जमीन है।
विस्थापित
विस्थापितों को दिए गए हैं फ्लैट
कोर्ट ने लोगों के पुनर्वास के लिए नरेला में फ्लैट उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया था। इसके बाद मद्रासी कैंप के लोगों को नरेला में फ्लैट भी आवंटित किए गए हैं।
हालांकि, स्थानीय लोगों को कहना है कि केवल 189 लोगों को फ्लैट मिले हैं, जबकि बस्ती में 300 से अधिक परिवार हैं।
लोगों का ये भी कहना है कि जो फ्लैट दिए गए हैं, वे काफी दूर हैं, जिससे उनका रोजगार छिन रहा है।
तमिलनाडु सरकार
तमिलनाडु ने कहा- अगर लौट लौटतें हैं तो मदद करेंगे
तमिलनाडु की सरकार ने कहा है कि अगर मद्रासी कैंप के निवासी अपने गृह जिले में लौटना चाहते हैं, तो उन्हें जरूरी सहायता प्रदान की जाएगी।
सरकार ने कहा कि उनके पास उपलब्ध सभी कानूनी रास्ते अब समाप्त हो चुके हैं।
बयान के मुताबिक, "आजीविका और अन्य आवश्यक जरूरतों के लिए सहायता सहित व्यापक सहायता विस्थापितों को प्रदान की जाएगी। यह सहायता जिला कलेक्टरों के माध्यम से समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सुगम बनाई जाएगी।"
बयान
क्या कह रहे हैं स्थानीय लोग?
एक महिला ने कहा, "हम कहां जाएंगे? हम यहीं मर जाएंगे लेकिन अपनी मद्रासी कैंप की झुग्गियां खाली नहीं करेंगे।"
एक अन्य निवासी मुरुगन ने कहा, "करीब 300 परिवारों में से सिर्फ 189 को ही फ्लैट आवंटित किए गए हैं। हमें जो फ्लैट दिए जा रहे हैं, वे अधूरे और खराब हालत में हैं। कुछ लोगों को नरेला जैसे दूरदराज इलाकों में मकान आवंटित हुए हैं। 26 को मकान देने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ।"