
#NewsBytesExplainer: RIC को क्यों जिंदा करना चाहता है रूस और भारत के लिए क्या हैं परेशानियां?
क्या है खबर?
रूस ने रूस, भारत और चीन (RIC) त्रिपक्षीय संवाद को फिर से शुरू करने की पहल की है।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 29 मई को कहा कि भारत और चीन के बीच में सीमा विवाद कम हुआ है, ऐसे में दोनों को फिर साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये RIC को पुनर्जीवित करने का सही समय है।
आइए RIC से जुड़ी सभी बातें जानते हैं।
बयान
RIC को लेकर रूस ने क्या कहा?
रूस के पर्म में लावरोव ने कहा, "अब जैसा कि मैं समझता हूं, भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति को शांत करने के बारे में एक समझ बन गई है। इससे मुझे लगता है कि RIC तिकड़ी को पुनर्जीवित करने का समय आ गया है। RIC को अब फिर से शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि भारत और चीन एक समझौते पर पहुंच चुके हैं।"
लावरोव ने क्वाड समूह को लेकर भारत से खास अपील भी की।
RIC
क्या है RIC?
RIC रूस, भारत और चीन के बीच सहयोग के लिए एक अनौपचारिक त्रिपक्षीय समूह है। इस त्रिपक्षीय संवाद की शुरुआत 1990 के दशक में रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रीमाकोव के सुझाव पर हुई थी।
2002 से 2020 तक इस समूह ने 20 से ज्यादा बार मंत्री-स्तरीय बैठकें कीं। इसमें विदेश नीति के अलावा आर्थिक, व्यापारिक और सुरक्षा मामलों पर भी समन्वय स्थापित करने का प्रयास हुआ।
हालांकि, 2020 के बाद से यह मंच लगभग निष्क्रिय है।
वजह
क्यों की गई थी RIC की स्थापना?
RIC का मकसद एक ऐसा मंच तैयार करना था, जो अमेरिका और पश्चिमी देशों के एकध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को संतुलित कर सके।
इस समूह को अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था का मुकाबला करने के लिए मंच के रूप में देखा जाता है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अक्टूबर, 2000 में हुई भारत यात्रा पर इस दौरान चर्चा हुई थी। इसके बाद 2006 में सेंट पीटर्सबर्ग में भारत, रूस और चीन के बीच पहली त्रिपक्षीय शिखर बैठक हुई थी।
रूस
RIC को जिंदा क्यों करना चाहता है रूस?
रूस का मानना है कि पश्चिमी गठबंधन एशिया में अस्थिरता फैला रहे हैं। लावरोव ने कहा कि NATO भारत को चीन विरोधी रणनीति में घसीटने की कोशिश कर रहा है।
ऐसे में भारत की पश्चिमी देशों के साथ नजदीकी रूस की सबसे बड़ी चिंता है। QUAD की लगातार बैठकें होना और उसमें भारत की सक्रियता रूस और चीन दोनों को पसंद नहीं आती है।
रूस ऐसा सुरक्षा ढांचा तैयार करना चाहता है, जिसमें अमेरिका समर्थित संस्थाओं पर निर्भरता न हो।
भारत
भारत के लिए क्या हैं मुश्किलें?
अगर भारत RIC में बातचीत और सहयोग को बढ़ाता है, तो इससे क्वाड की प्रभावशीलता पर सवाल उठेंगे। भारत को दोनों में संतुलन साधने का मुश्किल काम करना होगा।
भारत एक ओर क्वाड और अमेरिका के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना चाहता है, तो दूसरी ओर RIC जैसे मंचों में भागीदारी के जरिए रणनीतिक तौर पर संतुलन नीति अपनाना चाहता है।
भारत-चीन सीमा विवाद से भी RIC की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।
विशेषज्ञ
क्या रूस की कोशिशें सफल होंगी?
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश नंदा ने यूरेशियन टाइम्स में लिखा, "भारतीय दृष्टिकोण से किसी भी त्रिकोणीय संबंध के लिए चीन को दक्षिण एशिया में पाकिस्तान के पक्ष में रणनीतिक स्थान खाली करना होगा। चूंकि चीन पाकिस्तान के साथ भारत के विरुद्ध रणनीतिक गठजोड़ का हिस्सा है, तो भारत ऐसे गठबंधन का हिस्सा कैसे हो सकता है? अमेरिका विरोधी स्वर को देखते हुए भारत के लिए इससे जुड़ना कठिन हो सकता है।"